हैलो दोस्तो आज के पोस्ट में हम Virtual Private Network (VPN) के वाले में पढेगे तो आप पोस्ट को पूरा जरूर पढ़े।
पिछले पेज पर हमने Transformer की जानकारी शेयर की हैं तो उस आर्टिकल को भी पढ़े।
चलिए आज के इस आर्टिकल में हम Virtual Private Network (VPN) की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
VPN क्या है
VPN का पूरा नाम वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क है। एक वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) सार्वजनिक नेटवर्क (इंटरनेट) के माध्यम से निजी नेटवर्क का विस्तार करने का तरीका है।
यह उपयोगकर्ता की जानकारियों व डेटा की सुरक्षा के लिए उसे एन्क्रिप्ट करके एक सुरक्षित VPN यानी एन्क्रिप्टेड टनल के माध्यम से रूट करता है, जिसमे से होकर इंटरनेट के सभी ट्रैफिक और संचार गुजरते है।
इस तरह अगर आप जब भी वीपीएन से जुड़े हुए होते है तो आप सीधे प्राइवेट नेटवर्क से जुड़े होते है। जिसके कारण आपके इंटरनेट सेवा प्रदाता यानि ISP को भी पता नहीं चल पता की आप इंटरनेट पर किस तरह की सामग्रियों को देख रहे है, कौन से ऐप इस्तेमाल करते है, कौनसे वेबसाइट पर विजिट करते है, क्या भेज और क्या रिसीव कर रहे है।
ऐसा समझा जाता है की VPN का इस्तेमाल करने से इंटरनेट की गति कम हो सकती है। क्योकि वीपीएन नेटवर्क की अधिक सुरक्षा के लिए एन्क्रिप्शन करता है जो कि लेटेंसी को बढ़ा देता है, जिसके कारण इंटरनेट की गति थोड़ी धीमी हो सकती है।
VPN का इतिहास
चूंकि मानव इंटरनेट का उपयोग कर रहा है, इसलिए इंटरनेट ब्राउज़र डेटा को सुरक्षित और एन्क्रिप्ट करने के लिए एक आंदोलन किया गया है। अमेरिकी रक्षा विभाग 1960 के दशक में पहले से ही इंटरनेट संचार डेटा के एन्क्रिप्शन पर काम करने वाली परियोजनाओं में शामिल हो गया था।
VPN के पूर्ववर्ती
उनके प्रयासों से ARPANET (एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी नेटवर्क), एक पैकेट स्विचिंग नेटवर्क का निर्माण हुआ, जिसके परिणामस्वरूप ट्रांसफर कंट्रोल प्रोटोकॉल/इंटरनेट प्रोटोकॉल (TCP/IP) का विकास हुआ।
टीसीपी /आईपी के चार स्तर थे: लिंक, इंटरनेट, ट्रांसपोर्ट और एप्लिकेशन । इंटरनेट स्तर पर, स्थानीय नेटवर्क और उपकरणों को सार्वभौमिक नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है।
और यहीं पर जोखिम का जोखिम स्पष्ट हो गया। 1993 में, कोलंबिया विश्वविद्यालय और एटी एंड टी बेल लैब्स की एक टीम अंततः आधुनिक वीपीएन का एक प्रकार का पहला संस्करण बनाने में सफल रही, जिसे स्वाइप: सॉफ्टवेयर आईपी एन्क्रिप्शन प्रोटोकॉल के रूप में जाना जाता है।
अगले वर्ष, वी जू ने IPSec नेटवर्क विकसित किया, एक इंटरनेट सुरक्षा प्रोटोकॉल जो ऑनलाइन साझा किए गए सूचना पैकेटों को प्रमाणित और एन्क्रिप्ट करता है। 1996 में, गुरदीप सिंह-पाल नाम के एक Microsoft कर्मचारी ने एक पीयर-टू-पीयर टनलिंग प्रोटोकॉल (PPTP) बनाया।
शुरुआती VPN
पीपीटीपी विकसित करने वाले सिंह-पाल के साथ, इंटरनेट लोकप्रियता में बढ़ रहा था और उपभोक्ता-तैयार, परिष्कृत सुरक्षा प्रणालियों की आवश्यकता उभरी।
उस समय, मैलवेयर और स्पाइवेयर को कंप्यूटर सिस्टम को संक्रमित करने से रोकने के लिए एंटी-वायरस प्रोग्राम पहले से ही प्रभावी थे। हालाँकि, लोगों और कंपनियों ने भी एन्क्रिप्शन सॉफ्टवेयर की मांग शुरू कर दी थी जो इंटरनेट पर उनके ब्राउज़िंग इतिहास को छिपा सके।
पहला वीपीएन इसलिए 2000 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ था, लेकिन लगभग विशेष रूप से कंपनियों द्वारा उपयोग किया जाता था। हालाँकि, सुरक्षा उल्लंघनों की बाढ़ के बाद, विशेष रूप से 2010 की शुरुआत में, वीपीएन के लिए उपभोक्ता बाजार में तेजी आनी शुरू हो गई।
VPN का फुल फॉर्म क्या है
VPN का फुल फॉर्म – Virtual Private Network होता है, जिसे कि हिंदी में आभासी प्राइवेट नेटवर्क भी कहा जाता है।
VPN कैसे काम करते हैं
VPN एक ऐसा उपकरण है जो आपको कहीं भी सुरक्षित रूप से इंटरनेट एक्सेस करने की सुविधा देता है। VPN आपके डिवाइस और आपके VPN प्रदाता के बीच एक सुरक्षित “सुरंग” की तरह काम करता है, और यह दो प्रमुख ढंग से आपकी सुरक्षा करता है।
आपका आईपी एड्रेस छुपाकर, आपकी पहचान और आपकी लोकेशन संबंधी जानकारी को सुरक्षित रखते हुए।
आप और आपके VPN प्रदाता के बीच के आपके ट्रैफ़िक को एन्क्रिप्ट करके, ताकि आपके स्थानीय नेटवर्क में कोई भी उसे पढ़ न सके या उससे छेड़छाड़ न कर सके।
अतीत में, VPN का उपयोग मुख्य रूप से कॉरपोरेशन यानी निगमों द्वारा अपनी आंतरिक सेवाओं और मालिकाना डेटा तक सुरक्षित रिमोट एक्सेस की अनुमति देने के लिए किया जाता था।
हालाँकि अब VPN उन सभी के लिए उपलब्ध हैं जो इंटरनेट पर अपने कनेक्शन की रक्षा करना चाहते हैं, खासकर जब मामला सार्वजनिक वाईफ़ाई जैसे संवेदनशील नेटवर्क का हो, मगर साथ ही ये घरेलू नेटवर्क के लिए भी उपयोगी हैं।
VPN आपके और आपके VPN प्रदाता के बीच आपके द्वारा भेजे जाने वाले ट्रैफ़िक की रक्षा करेगा, चाहे यह आपके ब्राउज़र से हो, ऐप्स या अन्य सेवाओं के जरिए हो। VPN सेट करने के लिए, आपको VPN प्रदाता से जुड़ा एक अकाउंट बनाना होगा और अपने कंप्यूटर या फ़ोन पर VPN सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करना होगा।
VPN को एनेबल यानी सक्षम किए जाने पर, यह आपके डिवाइस पर चल रहे सभी ऐप्स और सॉफ़्टवेयर से जो भी ट्रैफ़िक होगा उसे सँभालेगा, ताकि आप एक सुरक्षित प्राइवेट नेटवर्क कनेक्शन पर बिना किसी चिंता के ब्राउज़ कर सकें और लोगों से बातचीत कर सकें।
एक VPN प्रदाता आमतौर पर अलग-अलग वैश्विक स्थानों में कई कनेक्शन गेटवे प्रदान करता है, जिससे आपको अपने स्वयं के स्थान से कहीं दूर के आईपी एड्रेस का इस्तेमाल करने की सुविधा मिलती है।
इस तरह, जिस स्थान से आप कनेक्ट हो रहे हैं, उसमें आपके ट्रैफ़िक के स्रोत के रूप में आपका वास्तविक आईपी एड्रेस प्रकट नहीं होता।
बल्कि VPN के आईपी नजर में आते हैं। Mozilla VPN आपके ट्रैफ़िक की आवाजाही को एक सुरक्षित सर्वर के माध्यम से करता है और आपको 30 से अधिक देशों में से कोई एक स्थान चुनने की सुविधा देता है।
VPN का उपयोग
1. अपनी पहचान छुपाना और अपने वेब ट्रैफ़िक की क्लोकिंग करना – ऐसा प्रतीत हो सकता है कि केवल सुपर टेक सेवी या चतुर बेईमान लोग ही ऐसा करते हैं।
2. हालाँकि, ऐसे कई तर्कसंगत कारण हैं कि आप VPN का उपयोग करना चाह सकते हैं, जिनमें शामिल हैं।
3. अपनी ऑनलाइन गतिविधि को गोपनीय रखना।
4. अपने घर की लोकेशन या आमतौर पर देखी जाने वाली साइटों की जानकारी को गोपनीय रखना।
5. किसी सार्वजनिक वाई-फ़ाई नेटवर्क से अपने कनेक्शन की सुरक्षा करना, जैसे किसी कैफ़े, हवाई अड्डे, स्टोर या लाइब्रेरी में।
6. इंटरनेट तक आपकी एक्सेस की गोपनीयता और अखंडता सुनिश्चित करना।
7. विज्ञापन नेटवर्कों के लिए, वेब पर आपको ट्रैक करने वाली विज्ञापन टार्गेटिंग प्रोफ़ाइलें बनाने में आपके आईपी का उपयोग करना अधिक कठिन बना देना।
VPN किसको इस्तेमाल करना चाहिए
कोई भी बिजनेस हो चाहे छोटा या बड़ा हमें हमेशा सिक्योरिटी के बारे में ही ध्यान रखना चाहिए। आज इस आर्टिकल में हम ऑनलाइन नेटवर्क और बिजनेस की सिक्योरिटी के बारे में बात कर रहे हैं।
जिसमें हम भी आपको VPN के बारे में जानकारी दी है। अब बात आती है कि वीपीएन को कैसे यूज करना चाहिए।
जब भी हम किसी होटल एयरपोर्ट और कॉफी शॉप में कि किसी पब्लिक वाईफाई से इन्टरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कोई हैक कर हमारी लोकेशन और हमारे डिटेल और डेटा इसके निकाल सकता है।
लेकिन जब हम VPN का यूज़ करते हैं तो VPN सॉफ्टवेयर हमारे डिवाइस के वास्तविक IP एड्रेस को Hide कर देता है जिसे से कोई भी हमें ऑनलाइन ट्रैक नहीं कर सकता है।
बहुत से VPN Service अपने खुद के DNA रिजर्वेशन सिस्टम प्रोवाइड करवाती है। DNS बुक की तरह किसी भी URL को Text To URL में बनाकर कंप्यूटर के समझने लायक बनाती है जब हम Virtual Private Network का DNA सिस्टम इस्तेमाल करते हैं तो हमारे पास डबल लेयर प्रोटेक्शन हो जाती है और जिससे हमारा डाटा पहले से ज्यादा सिक्योर हो जाता है।
Virtual Private Network का इस्तेमाल उन लोगों को करना चाहिए जो पर्सनल और प्रोफेशनल डाटा सेफ्टी चाहते हैं जैसे गवर्नमेंट एजेंसी, ऑनलाइन ट्रेडर आदि।
अगर आप Bit Torrent का इस्तेमाल करते हैं तो आप TorGuard और NordVPN जैसी सर्विस का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसमें आपको Pear To Pear फाइल शेयरिंग और Bit Torrent शेयरिंग जैसे Feature मिलेंगे।
VPN Service कैसे इस्तेमाल करे?
इन कुछ सालों में वीपीएन सर्विस की Demand बढ़ने की वजह से इन्टरनेट पर इतनी Fake Virtual Private Network और Work Virtual Private Network सिस्टम आ गए हैं जिसकी वजह से लोगों को बहुत दिक्कत होती है।
अगर आप अपना डिवाइस और अपनी कनेक्शन को सिक्योर करना चाहते हैं। तो आपको सही और अच्छा VPN सिस्टम का यूज़ करना होगा।
Virtual Private Network सिस्टम का यूज़ करने से पहले आपको उस सॉफ्टवेयर के बारे में नीचे बताए गए बातों को ध्यान में रखते हुए ही इस्तेमाल शुरू करना है।
- Reputation
- Performance
- Type Of Encryption Used
- Transparency
- Ease Of Use
- Support
- Extra Features
सभी Virtual Private Network सर्विस के लिए आपको Pay नहीं करना होगा. कुछ सॉफ्टवेयर आपको फ्री में इस्तेमाल करने को भी मिलेंगे लेकिन इसमें आपको अनलिमिटेड Features नहीं मिल पाएंगे। अगर आप बेसिक सिस्टम का यूज़ करना चाहते हैं. तो आप Tunnel Virtual Private Network का यूज़ कर सकते हैं। यह एक फ्री और लिमिटेड VPN को सर्विस सॉफ्टवेयर है।
कुछ VPN सॉफ्टवेयर कंपनी अपने सॉफ्टवेयर जो फ्री में ट्रायल देती है जिनमे आप प्रो फीचर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा आपको कंपनी से मनी बैक Guarantees में भी मिलती है।
जिसे से अगर आपको अपने हिसाब से सॉफ्टवेयर Feature और Safety नहीं मिलती है तो आप कंपनी से मनी बैक रिक्वेस्ट भी कर सकते हैं। अगर आप ऐसे किसी Virtual Private Network सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपकी Solid Virtual Private Network Unlimited सॉफ्टवेयर का यूज कर सकते हैं।
VPN के फायदे
VPN इस्तेमाल करने के अनेक सारे फायदे यूजर को होते हैं जैसे कि –
- VPN का इस्तेमाल करने से यूजर का डेटा हैकर से सुरक्षित रहता है।
- VPN यूजर की पहचान को गोपनीय रखता हैं।
- इंटरनेट की परफॉरमेंस को बढाने का कार्य भी Virtual Private Network करता है।
- VPN के द्वारा यूजर ब्लॉक वेबसाइट को भी एक्सेस कर सकता हैं।
- Virtual Private Network यूजर को सुरक्षित इंटरनेट एक्सेस करने की आजादी भी देता है।
- इंटरनेट Security को बढ़ाता है – जब भी हम इंटरनेट पर कुछ काम करते हैं तब ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर मन में हमेशा चिंता बनी रहती है लेकिन वीपीएन का इस्तेमाल कर इस चिंता को दूर किया जा सकता है।
- वीपीएन का इस्तेमाल web data को सुरक्षा प्रदान कर उसे हैक होने या चोरी होने से बचाता है।
- किसी भी Website या Online Streaming को आसानी से access किया जा सकता है।
VPN के नुकसान
VPN के फायदों के साथ – साथ कुछ नुकसान भी हैं जैसे कि –
- VPN का इस्तेमाल करने से यूजर की पहचान इंटरनेट तक नहीं जाती है, लेकिन यूजर का सारा डेटा VPN सर्वर में मौजूद होता हैं।
- सारे VPN प्रदाता भरोसेमंद नहीं होते हैं कुछ VPN Provider यूजर के डेटा को किसी तीसरे पक्ष के साथ शेयर करते हैं।
- अधिकतर भरोसेमंद वीपीएन फ्री नहीं होते हैं, इनके इस्तेमाल के लिए आपको Pay करना होता हैं।
- कई हैकर भी Virtual Private Network का इस्तेमाल करते हैं जिससे वह भी अपनी पहचान को छुपा सकते हैं।
- अच्छी Internet Speed के लिए Research करना जरूरी – अगर आप VPN के साथ अच्छी इंटरनेट स्पीड चाहते हैं तो इसके लिए आपको बैठ कर रिसर्च करना होगा और किसी अच्छे VPN को चुनना होगा।
- एक paid VPN आपको बेहतर इंटरनेट स्पीड प्रदान कर सकता है।
- फ्री VPNs का इस्तेमाल लिमिट में ही किया जा सकता है – वैसे तो आपको इंटरनेट पर बहुत सारे free VPNs मिल जाएंगे लेकिन उनका इस्तेमाल लिमिट में ही किया जा सकता है।
- जैसे कि प्रतिदिन 2GB या 5GB डाटा तक ही इस्तेमाल किया जा सकता है उसके बाद आपको पैसे खर्च करने होंगे। इसके लिए आपको Virtual Private Network का monthly subscription खरीदना होगा।
क्या VPN का इस्तेमाल करना सही है
इंटरनेट पर Data चोरी और Privacy से संबंधित खतरा हमेशा बना रहता है, इसलिए इन सब से बचने और अपनी गुमनामी को बनाए रखने के लिए Virtual Private Network का इस्तेमाल बिल्कुल सही है. मतलब हमें Virtual Private Network का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
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आशा है आपने Virtual Private Network की पोस्ट पूरी जरूर पढ़ ली होगी पोस्ट पसंद आई तो पोस्ट साथ भी शेयर करे।