हैलो दोस्तो आज इस आर्टिकल में हम बात करने वाले है Primary Memory के बारे में।
अगर आप कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं या कभी किया है तो आपका यह जानना बहुत जरूरी है कि प्राइमरी मेमोरी क्या होती है, कैसे काम करती है और इसकी जरूरत क्यों पड़ती है इसकी विशेषताएं क्या है इन सभी प्रश्नों का आपको उत्तर इस पोस्ट में मिलने वाला है अगर आप भी इन प्रश्नों का उत्तर जानना चाहते हैं तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।
Primary memory क्या है
Primary Memory कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी (Main memory) होती है और इसे अस्थाई (Temporary) मेमोरी भी कहते हैं। जब किसी इनपुट डिवाइस द्वारा कंप्यूटर को आदेश प्राप्त होता है तो सिस्टम यूनिट में वो आदेश सबसे पहले Main memory में जाता है। कंप्यूटर में दिए गए सभी आदेश प्रोसेस होने से पहले तक मुख्य मेमोरी में ही रहते है। इसके साथ ही आउटपुट डाटा भी आउटपुट डिवाइस में भेजे जाने से पहले मुख्य मेमोरी में ही रहते है। और प्रोसेसिंग प्रक्रिया के दौरान के सारे मध्यवर्ती परिणाम भी प्राइमरी मेमोरी में ही अस्थाई रूप से संगृहीत होते है।
इसे वोलेटाइल मेमोरी भी कहा जाता है क्योंकि जब तक इस मेमोरी में बिजली रहती है, तब तक इसमें रखा डेटा सेव रहता है, लेकिन जैसे ही बिजली बंद होती है, इस मेमोरी में रखा डेटा डिलीट हो जाता हैं। कंप्यूटर में सहायक स्टोरेज डिवाइस भी होता है जिसे Secondary Memory कहते है जिसमे स्टोर किया गया डाटा स्थाई रहता है।
प्राइमरी मेमोरी के प्रकार (Types of Primary Memory)
कंप्यूटर में मुख्य रूप से तीन प्रकार की प्राइमरी मेमोरी होती है –
- 1. RAM (Random Access Memory)
- 2. ROM (Read Only Memory)
- 3. कैश मेमोरी (Cache Memory)
1. RAM (Random Access Memory)
इसका पूरा नाम Random access memory हैं। इस मेमोरी को कंप्यूटर की अस्थाई मेमोरी भी कहते हैं। इसमें कोई भी डाटा स्टोर नहीं रहता है जब तक कंप्यूटर ऑन रहता है तब तक रैम में डाटा या प्रोग्राम अस्थाई रूप से संग्रहित(stored) रहता हैं लेकिन जैसे ही आप कंप्यूटर को शटडाउन करते हैं, रैम में रखा सारा डेटा डिलीट हो जाता है, इसलिए इसे volatile(परिवर्तनशील) मेमोरी भी कहते हैं
ये कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी कहलाती है। जब भी आप Computer में कोई सॉफ्टवेयर या फाइल खोलते है, तो वो सबसे पहले RAM में लोड होते है जिसके बाद CPU द्वारा उन्हें प्रोसेस किया जाता है। आसान भाषा मे आप जो भी कंप्यूटर में कर रहे है वो कही न कही RAM में चल रहा है।
इसलिए इसे Temporary Memory कहा जाता है, क्योंकि यह किसी डेटा को तब तक ही स्टोर करती है जब तक CPU को उसकी जरूरत है। ये अन्य स्टोरेज डिवाइस के मुकाबले बहुत तेज होती है। RAM मुख्य रूप से Volatile प्रकृति की होती है, अर्थात Computer बंद होते ही इसमे मौजूद डेटा डिलीट हो जाता है। RAM मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है।
- स्टैटिक रैम (Static Ram)
- डायनामिक रैम (Dynamic Ram)
1. स्टैटिक रैम (Static Ram)
SRAM का पूरा नाम “Static Random Access Memory” है।
इसमें डेटा को स्टोर करने के लिए Transistors का इस्तेमाल होता है।
SRAM को बार-बार Refresh करने की आवश्यकता नही होती।
यह एक फास्ट मेमोरी है। SRAM चिप्स में एक्सेस का समय 10 नैनोसेकंड जितना कम हो सकता है।
2. डायनामिक रैम (Dynamic Ram)
DROM का पूरा नाम “Dynamic Random Access Memory” है।
इसमें डेटा को स्टोर करने के लिए Capacitors का इस्तेमाल होता है।
DRAM में डेटा को लंबे समय तक स्टोर करने के लिये लगातार Refreshing की आवश्यकता पड़ती है।
DRAM चिप्स में एक्सेस का समय 50 नैनोसेकंड जितना हो सकता है। इसलिए यह SRAM से slow होता है
2. ROM (Read Only Memory)
ROM का मतलब Read Only Memory है। जैसा इसके नाम से पता चलता है, कि यह सिर्फ Readable होती है अर्थात इसमें स्टोर डेटा या प्रोग्राम को सिर्फ पढ़ा जा सकता है उसमें किसी तरह का संसोधन अथवा बदलाव सम्भव नही या उतना आसान नही। इसलिए आमतौर पर ROM Chip में उन Fixed Program को स्टोर किया जाता है जिन्हें फिर Modified करने की आवश्यकता नही पड़ती। उदाहरण के लिये Computer ROM में Firmware नाम का एक प्रोग्राम स्टोर होता है, जो Computer को Start करने के लिये जिम्मेदार होता है।
ROM की प्रकृति Non-Volatile होती है अर्थात कंप्यूटर के स्विच-ऑफ होने की स्थिति में भी इसमें मौजूद प्रोग्राम या डेटा मिटता नही। यह डेटा को Permanently स्टोर करके रखती है। हालांकि यह बहुत कम मात्रा में डेटा स्टोर करती है। ROM एक Slower मेमोरी है और यह RAM के मुकाबले सस्ती होती है। आमतौर पर ROM चार प्रकार की होती है:
- 1. MROM (Masked Read Only Memory)
- 2. PROM (Programable Read Only Memory)
- 3. EPROM (Erasable And Programable Read Only Memory)
- 4. EEPROM (Electricity Erasable And Programable Read Only Memory)
1. PROM (Programmable Read Only Memory):-
PROM यानि प्रोग्राममेबल रीड ऑनली मेमोरी को केवल एक बार ही डाटा स्टोर किया जा सकता है यानि इसे मिटाया नहीं जा सकता है और ना ही बदला जा सकता है
2. EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory):-
EPROM का पूरा नाम Erasable Programmable Read Only Memory होता है यह प्रोम (PROM) की तरह ही होता है लेकिन इसमें संग्रहित प्रोग्राम (Store Program) को पराबैगनी किरणों (Ultraviolet rays) के द्वारा ही मिटाया जा सकता है और नए प्रोग्राम संग्रहित (Store) किये जा सकते हैं
3. EEPROM (Electrical Programmable Read Only Memory):-
EEPROM का पूरा नाम Electrical Programmable Read Only Memory होता हैं, एक नई तकनीक इ-इप्रोम (EEPROM) भी है जिसमे मेमोरी से प्रोग्राम को विधुतीय विधि से मिटाया जा सकता हैं
3. कैश मेमोरी (Cache Memory):-
Cache Memory कंप्यूटर में एक छोटे आकार की मेमोरी होती है जो CPU और RAM के बीच में स्थित होती है. यह मेमोरी Requested Data और Instructions को स्टोर करती है, ताकि जरुरत पढ़े पर वह CPU के लिए उपलब्ध हो. Cache Memory बहुत फ़ास्ट होती है. आधुनिक कंप्यूटरों में Cache Memory बहुत महत्वपूर्ण है.
Programmable ROM ( P-ROM ):-
- PROM का पूरा नाम “Programmable Read Only Memory” है।
- यह One-Time Programmable चिप होती है।
- यह एक non – volatile memory डिवाइस है । अर्थात एक बार rom में डाटा को स्टोर करके उसे modify नहीं कर सकते।
- PROM को 1956 में Wen Tsing Chow ने invent किया था।
- Erasable Programmable ROM (EP-ROM)
- EPROM का पूरा नाम “Erasable Programmable Read Only Memory” है।
- यह PROM के similar होती है लेकिन इसे strong ultraviolet light की मदद से कई बार Reprogrammed किया जा सकता है।
- EPROM को 1971 में Dov Frobman ने invent किया था।
- Electrically Erasable Programmable ROM (EEP-ROM)
- EEPROM का पूरा नाम “Electrically Erasable Programmable Read Only Memory” है।
- यह EPROM के similar होती है लेकिन इसे इलेक्ट्रिक-चार्ज के उपयोग से Reprogrammed किया जा सकता है।
- EEPROM सबसे महंगी और advanced ROM है।
Primary memory का काम क्या है?
प्रोसेसर को जिस भी डाटा की आवश्यकता होती है उसे प्रमुख मेमोरी जल्द से जल्द प्रोसेसर तक पहुंचाने का कार्य करता है। साथ ही प्राइमरी मेमोरी में कंप्यूटर के सारे सेटिंग्स मौजूद होते हैं
और कंप्यूटर को चालू करते वक्त प्राइमरी मेमोरी की आवश्यकता पड़ती है, इसलिए प्राइमरी मेमोरी को कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी कहते हैं
प्राइमरी मेमोरी की कुछ मुख्य विशेषताएं
- उन Program या Data को स्टोर करती है जिन्हें CPU द्वारा वर्तमान में प्रोसेस किया जा रहा होता है।
- Primary Memory कंप्यूटर में सीधे CPU से कनेक्ट होती है।
- ये Semiconductor Memory होती है।
- सेकेंडरी स्टोरेज की तुलना में Primary Memory काफी तेज होती है।
- ये काफी महंगी होती है सेकंडरी स्टोरेज डिवाइस की तुलना में।
- बिना Primary Memory के कंप्यूटर कार्य नही कर सकते।
- प्राइमरी मेमोरी Volatile Memory होती है इसमें डेटा अस्थाई रूप से स्टोर होता है.
- प्राइमरी मेमोरी कंप्यूटर का महत्वपूर्ण भाग होती है, बिना इसके कंप्यूटर कार्य नहीं कर सकता है.
- कंप्यूटर के बंद हो जाने के बाद प्राइमरी मेमोरी में स्टोर डेटा स्वतः ही मिट जाता है.
- प्राइमरी मेमोरी सेमीकंडक्टर की बनी होती है.
- प्राइमरी मेमोरी को इंटरनल मेमोरी, Volatile मेमोरी, Main Memory आदि नामों से भी जाना जाता है.
- प्राइमरी मेमोरी की स्टोरेज क्षमता सेकेंडरी मेमोरी की तुलना में कम होता है और लेकिन स्पीड सेकेंडरी मेमोरी से अधिक होती है.
Primary memory के फायदे
- यह बहुत फास्ट होता है।
- सीपीयू द्वारा सीधे उपयोग किया जाता है।
- इसका उपयोग आसान है।
- आसानी से मिल जाता है।
प्राइमरी मेमोरी के नुकसान (Disadvantage of Primary Memory)
- सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस की तुलना में प्राइमरी मेमोरी की स्टोरेज क्षमता कम होती है.
- सेकेंडरी मेमोरी की तुलना में यह बहुत महंगी होती है.
- पॉवर सप्लाई बंद हो जाने पर प्राइमरी मेमोरी में स्टोर डेटा मिट जाता है.
- ख़राब होने पर कंप्यूटर में भी Problem आ जाती है
- बहुत महंगा है।
- खराब होने पर बन्ना मुश्किल है।
- खराब होने पर मदरबोर्ड भी खराब हो जाता है।
Price list of primary memory
- Ram 4Gb – Rs.2000
- Ram 8Gb – Rs.3000
- Ram 16Gb – Rs.5500
- Ram 32Gb – Rs.10000
उम्मीद है, Primary Memory क्या है की पोस्ट आपने पूरा जरूर पढ़ ली होगी आपको पोस्ट पसंद आई हो तो आपने दोस्तो साथ भी शेयर करे।
इसे भी पढ़े