Computer gyan in hindi

हैलो दोस्तो आज के आर्टिकल में हम computer के वारे में पढेगे तो आप आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े।

कम्प्यूटर का परिचय

‘computer’ शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘Computare’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ ‘गणना करना’ होता है। computer का आविष्कार मुख्यत या गणन कार्यों के लिए हुआ था, परन्तु आधुनिक युग में इसका कार्यक्षेत्र अधिक विस्तृत और व्यापक हो गया है।

  • अबेकस सबसे पहला एवं सरल यन्त्र था, जिसका प्रयोग जोड़ने व घटाने के लिए किया जाता था।
  • चार्ल्स बैबेज को कम्प्यूटर का जनक कहा जाता है जिसने मैकेनिकल एनालिटिकल इंजन का आविष्कार किया, जिसका प्रयोग सभी गणितीय क्रियाओं को करने में किया जाता था।

कम्प्यूटर का वर्गीकरण

कम्प्यूटरों को उनकी रूपरेखा, कामकाज, उद्देश्यों तथा प्रयोजनों आदि के आधारों पर विभिन्न वर्गों में विभाजित किया गया है, जो निम्न

1. आकार के आधार पर

आकार के आधार पर कम्प्यूटर चार प्रकार के होते हैं, जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नवत् है

(i) माइक्रो कम्प्यूटर ये कम्प्यूटर आकार में इतने छोटे होते थे कि इन्हें डेस्क (Desk) पर सरलतापूर्वक रखा जा सकता था। इन्हें कम्प्यूटर ऑन ए चिप कहा जाता है। जैसे-पर्सनल कम्प्यूटर (PC), डेस्कटॉप कम्प्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट कम्प्यूटर, पर्सनल डिजिटल असिस्टेण्ट, आदि।

(ii) मिनी कम्प्यूटर मध्यम आकार के इन कम्प्यूटरों की कार्यक्षमता तथा कीमत दोनों हो माइक्रो कम्प्यूटर की तुलना में अधिक होती है। इस प्रकार के कम्यूटरों पर एक या एक से अधिक व्यक्ति एक समय में एक से अधिक कार्य कर सकते हैं।

(iii) मेनफ्रेम कम्प्यूटर ये computer आकार, कार्यक्षमता और कीमत में मिनी तथा माइक्रो कम्प्यूटर से अधिक बड़े होते हैं। अतः बड़ी कम्पनियों तथा बैंकों या सरकारी विभागों में एक केन्द्रीय कम्प्यूटर के रूप में इनका प्रयोग होता है।

(iv) सुपर कम्प्यूटर ये computer सर्वाधिक गति, संग्रह क्षमता एवं उच्च विस्तार वाले होते हैं। इनका आकार एक सामान्य कमरे के बराबर होता है।

2. कार्य के आधार पर

कार्य के आधार पर कम्प्यूटर तीन प्रकार के होते हैं, जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नवत् है

(i) एनालॉग कम्प्यूटर इन कम्प्यूटर का प्रयोग भौतिक मात्राओ, जैसे दाब, तापमान, लम्बाई, पारे इत्यादि को मापकर उनके परिणाम को अंकों में प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है

(ii) डिजिटल कम्प्यूटर इन कम्प्यूटर का उपयोग अंकों की गणना करने के लिए किया जाता है। आधुनिक युग में, प्रयुक्त अधिकतर computer डिजिटल कम्प्यूटर की श्रेणी में ही आते हैं।

(iii) हाइब्रिड कम्प्यूटर हाइब्रिड कम्प्यूटर उन कम्प्यूटरों को कहा जाता है जिनमे एनालॉग तथा डिजिटल दोनो ही कम्प्यूटरों के गुण सम्मिलित हो।

3. उद्देश्य के आधार पर

उद्देश्य के आधार पर कम्प्यूटर दो प्रकार के होते हैं,

(i) सामान्य उद्देशीय कम्प्यूटर इनके द्वारा दस्तावेज तैयार करने, उन्हें छापने, डाटाबेस बनाने तथा शब्द प्रक्रिया द्वारा पत्र तैयार करने, इत्यादि सामान्य कार्य किए जाते हैं।

(ii) विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर इनका उपयोग अन्तरिक्ष विज्ञान, यातायात नियन्त्रण, कृषि विज्ञान, इंजीनियरिंग, भौतिक तथा रासायनिक विज्ञान में शोध, उपग्रह संचालन इत्यादि क्षेत्रों में किया जाता है।

कम्प्यूटर के घटक

कोई कम्प्यूटर चाहे छोटा हो या बड़ा, नया हो या पुराना, उसकी मूल संरचना सदैव एक ही तरह की होती है। प्रत्येक कम्प्यूटर के चार मुख्य भाग होते हैं, जो निम्नलिखित है

1. इनपुट यूनिट

वे हार्डवेयर होते हैं जो डाटा को कम्प्यूटर में भेजते हैं। बिना इनपुट यूनिट के computer TV की तरह दिखने वाली एक ऐसी डिस्प्ले यूनिट हो जाता है जिससे उपयोगकर्ता कोई कार्य नहीं कर सकता, जैसे कीबोर्ड, माउस आदि।

2. आउटपुट यूनिट

डाटा तथा निर्देशों को परिणाम के रूप में प्रदर्शित करने के लिए जिन यूनिट्स का उपयोग किया जाता है, उन्हें आउटपुट यूनिट कहते हैं, जैसे प्रिण्टर, मॉनीटर आदि।

3. सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू)

कम्प्यूटर में किए जाने वाले सभी कार्य सी पी यू के द्वारा ही किए जाते हैं। सी पी यू को कम्प्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य प्रोग्रामों को क्रियान्वित करना है। इसके अतिरिक्त सी पी यू कम्प्यूटर के सभी भागों जैसे मैमोरी, इनपुट एवं आउटपुट डिवाइसेज के कार्यों को भी नियन्त्रित है।

सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट दो महत्त्वपूर्ण भागों से मिलकर बनती है

(i) कन्ट्रोल यूनिट (CU)

(ii) अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट (ALU)

4. मैमोरी यूनिट

यह डाटा तथा निर्देशों को संग्रहीत करती है। यह आधुनिक कम्प्यूटरों के मूल कार्यों में से एक या सूचना स्टोरेज की सुविधा देती है। इसमें दो प्रकार की मैमोरी होती है

(i) प्राइमरी मैमोरी

इसे आन्तरिक (Internal) या मुख्य (Main) मैमोरी भी कहा जाता है, क्योंकि यह कम्प्यूटर को सी पी यू का ही भाग होती है। प्राइमरी मैमोरी के भी दो भाग होते हैं

(a) रैण्डम एक्सेस मैमोरी (रैम)

(b) रीड ओनली मैमोरी (रोम)

(ii) सेकण्डरी मैमोरी

इसे बाहा या सहायक मैमोरी भी कहा जाता है। इसमें डाटा स्टोर करने की क्षमता प्राइमरी मैमोरी से अधिक होती है। फाइल सिस्टम स्थायी रूप से सेकण्डरी मैमोरी में स्टोर रहती है। जैसे-सीडी, डीवीडी, फ्लॉपी, ब्लू-रे डिस्क, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क ड्राइव आदि।

मैमोरी की इकाइयाँ

1 बिट = बाइनरी डिजिट (0.1)

8 बिट्स = 1 बाइट = 2 निबल

1024 बाइट्स = 1 किलोबाइट (1KB)

1024 किलोबाइट = 1 मेगाबाइट (1 MB)

1024 मेगाबाइट = 1 गीगाबाइट (1 GB)

1024 गीगाबाइट = 1 टेराबाइट (1TB)

हार्डवेयर

कम्प्यूटर के वे भाग जिन्हें हम आँखों से देख सकते हैं और हाथ से स्पर्श कर सकते हैं अर्थात् यान्त्रिक, विद्युत तथा इलेक्ट्रॉनिक भाग कम्प्यूटर हार्डवेयर के नाम से जाने जाते हैं। हार्डवेयर निम्न प्रकार के होते हैं

1. इनपुट डिवाइसेज

वे डिवाइसेज, जिनका प्रयोग उपयोगकर्ता के द्वारा कम्प्यूटर को डाटा और निर्देश प्रदान करने के लिए किया जाता है, इनपुट डिवाइसेज कहलाती हैं। कुछ प्रमुख इनपुट डिवाइसेज निम्न हैं

1. की बोर्ड

2. बारकोड रीडर

3. प्वॉइण्टिग डिवाइसेज

  • माउस 
  • ट्रैकबॉल 
  • जॉयस्टिक लाइट पेन

4. स्कैनर

5. माइक्रोफोन

2. आउटपुट डिवाइसेज

इन डिवाइसेज का प्रयोग computer से प्राप्त परिणाम को देखने अथवा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। आउटपुट डिवाइसेज, आउटपुट की हार्ड कॉपी अयत्रा सॉफ्ट कॉपी के रूप में प्रस्तुत करते हैं। कुछ प्रमुख आउटपुट डिवाइसेज निम्न है

  1. मॉनीटर
  2. प्रिण्टर
  3. प्लॉटर
  4. प्रोजेक्टर
  5. स्पीकर

सॉफ्टवेयर

सॉफ्टवेयर, प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गये निर्देशों अर्थात् प्रोग्रामों की वह श्रृंखला है जो कम्प्यूटर सिस्टम के कार्यों नियन्त्रित करता है तथा कम्प्यूटर के विभिन्न हार्डवेयरों के बीच समन्वय स्थापित करता है। सॉफ्टवेयर को दो प्रमुख भागो में विभाजित किया गया है-

1. सिस्टम सॉफ्टवेयर

जो प्रोग्राम कम्प्यूटर को चलाने, उसको नियन्त्रित करने, उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने तथा उसकी सभी क्षमताओं का अच्छे से अच्छा उपयोग करने के लिए लिखे जाते हैं. उनको सम्मिलित रूप में ‘सिस्टम सॉफ्टवेयर कहा जाता है।

2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

एप्लीकेशन उन प्रोग्रामों को कहा जाता है, जो हमारा वास्तविक कार्य कराने के लिए लिखे जाते हैं, जैसे कार्यालय के कर्मचारियों की वेतन गणना करना, सभी लेन-देन तथा खातो का हिसाब-किताब रखना, विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट छापना, की स्थिति का विवरण देना, पत्र दस्तावेज तैयार करना आदि। जैसे MS-Word, होटल मैनेजमेण्ट, DBMS आदि।

ऑपरेटिंग सिस्टम

ऑपरेटिंग सिस्टम कुछ विशेष प्रोग्रामों का ऐसा व्यवस्थित समूह है जो किसी कम्प्यूटर के सम्पूर्ण क्रियाकलाप को नियन्त्रित करता है। यह कम्प्यूटर के साधनों के उपयोग पर नजर रखने और करने में हमारी सहायता करता है। सिस्टम के प्रकार निम्नलिखित है

1. वैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक प्रकार के सभी कार्यों को एक वैच के रूप में संगठित करके साथ में क्रियान्वित किया जाता है।

2. सिंगल यूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक बार में केवल एक उपयोगकर्ता को ही कार्य करने की अनुमति होती है। यह सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम है; जैसे-MS-DOS, Windows 9X आदि।

3. मल्टी यूजर ऑपरेटिंग यह ऑपरेटिंग सिस्टम एक समय मे एक से अधिक उपयोगकर्ता को कार्य करने की अनुमति देता है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम सभी उपयोगकर्ता के मध्य सन्तुलन बनाकर रखता है।

4. मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम इस ऑपरेटिंग सिस्टम में एक समय में एक से अधिक कार्यों को सम्पन्न करने की अनुमति होती है, इसमे उपयोगकर्ता आसानी से दो कार्यों के मध्य स्विच (Switch) कर सकता है; जैसे- लाइनक्स, यूनिक्स इत्यादि।

5. टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में, एक साथ एक से अधिक उपयोगकर्ता या प्रोग्राम कम्प्यूटर के संसाधनों का प्रयोग करते हैं।

कम्प्यूटर नेटवर्क

कम्प्यूटर नेटवर्क से हमारा तात्पर्य आसपास या दूर बिखरे हुए कम्प्यूटरों को इस प्रकार जोड़ने से है कि उनमें से प्रत्येक कम्प्यूटर किसी दूसरे कम्प्यूटर के साथ स्वतन्त्र रूप से सम्पर्क बनाकर सूचनाओं या सन्देशों का आदान-प्रदान कर सके और एक-दूसरे के साधनों तथा सुविधाओं का साझा कर सके।

कम्प्यूटर नेटवर्क के प्रकार

नेटवर्को की उनके कम्प्यूटरों की भौगोलिक स्थिति के अनुसार निम श्रेणियों में बांटा जाता है

1. लोकल एरिया नेटवर्क (लैन) ऐसे नेटवकों के सभी कम्प्यूटर्स एक सीमित क्षेत्र में स्थित होते हैं। यह क्षेत्र लगभग एक किलोमीटर की सीमा में होना चाहिए, जैसे कोई बड़ी बिल्डिग या उनका एक समूह।

2. मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (मैन) जय बहुत सारे लोकल एरिया नेटवर्क अर्थात् लैन किसी नगर या शहर के अन्दर एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं तो इस प्रकार के नेटवर्क को मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क कहा जाता है।

3. वाइड एरिया नेटवर्क (वैन) वैन से जुड़े हुए कम्प्यूटर्स तथा उपकरण एक-दूसरे से हजारों किलोमीटर की भौगोलिक दूरी पर भी स्थित ही सकते हैं। इनका कार्यक्षेत्र कई महाद्वीपों तक फैला हो सकता है।

4. पर्सनल एरिया नेटवर्क यह बहुत छोटी दूरी के लिए उपयोग होने वाला नेटवर्क है, जिसकी क्षमता कम दूरी पर उपस्थित एक या दो व्यक्तियों तक होती है; जैसे- ब्लूटुथ, वायरलैस, USB आदि।

5. वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क यह एक प्रकार का नेटवर्क है जो किसी प्राइवेट नेटवर्क जैसे कि किसी कम्पनी के आन्तरिक नेटवर्क (Internal network) से जुड़ने के लिए इण्टरनेट का प्रयोग करके बनाया जाता है।

इण्टरनेट

इण्टरनेट इस समय दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय नेटवर्क है। संसार के लगभग सभी नेटवर्क इण्टरनेट से जुड़े हुए हैं। यह ‘नेटवर्को का भी नेटवर्क’ है।

इण्टरनेट कनेक्शन्स

इण्टरनेट एक्सेस के लिए कुछ इण्टरनेट कनेक्शन्स इस प्रकार है 1. डायल अप कनेक्शन डायल अप पूर्व उपस्थित टेलीफोन लाइन की सहायता से इण्टरनेट से जुड़ने का एक माध्यम है।

2. ब्रॉडबैण्ड कनेक्शन्स ब्रॉडबैण्ड का प्रयोग हाई स्पीड इण्टरनेट एक्सेस के लिए किया जाता है। यह इण्टरनेट से जुड़ने के लिए टेलीफोन लाइनों का प्रयोग करता है। डिजिटल सब्सक्राइबर लाइन, केबल मॉडम, फाइबर ऑप्टिक, ब्रॉडबैण्ड ओवर पावर लाइन आदि ब्रॉडवैण्ड कनेक्शन्स हैं।

3. वायरलैस कनेक्शन्स इस प्रकार के कनेक्शन में केबल या मॉडम इत्यादि की आवश्यकता नहीं होती। वाई-फाई (वायरलैस फिडेलिटी), वाई मैक्स, मोबाइल वायरलेस ब्रॉडबैण्ड सर्विसेज, सेटेलाइट आदि कुछ वायरलैस कनेक्शन्स हैं।

इण्टरनेट सम्बन्धी घटक

इण्टरनेट सम्बन्धी प्रमुख घटक निम्न हैं

1. वेबसाइट एक वेबसाइट वेब पेजो का संग्रह होता है जिसमें सभी वेब पेज हाइपरलिक द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं। किसी वेबसाइट के एड्रेस को उसका यूनीफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (URL: Uniform Resource Locator) कहा जाता है। उदाहरण के लिए, मुम्बई स्टॉक एक्सचेन्ज की वेबसाइट का पता http://www.bseindia.com है।

2. वेब पेज किसी वेबसाइट में सूचनाओं को कई भागों में बाँटकर दिखाया जाता है। प्रत्येक भाग को वेब पेज कहा जाता है। वेबसाइट के पहले या प्रमुख वेब पेज को उसका होम पेज कहा जाता है।

3. वर्ल्ड वाइड वेब यह विशेष रूप से स्वरूपित डॉक्यूमेण्टस का समर्थन करने वाले इण्टरनेट सर्वर की एक प्रणाली है। यह 13 मार्च, 1989 को पेश किया गया था।

इण्टरनेट सेवाएँ

इण्टरनेट सेवाएँ निम्न हैं

1. ई-मेल इलेक्ट्रॉनिक मेल (ई-मेल) एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक सन्देश होता है, जो किसी नेटवर्क से जुड़े विभिन्न कम्प्यूटरों के बीच भेजा और प्राप्त किया जाता है।

2. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग दूरस्थ लोगों के बीच वीडियो एवं आवाज के दोनों तरफ किए जाने वाले ट्रांसमिशन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कहा जाता है।

3. सर्च इंजन सर्च इंजन एक ऐसा प्रोग्राम है, जो इण्टरनेट पर सूचनाएँ खोजने के लिए प्रयोग किया जाता है। दूसरे शब्दों में, सर्च इंजन ऐसे प्रोग्राम होते हैं, जो किसी विषय की सूचनाएँ रखने वाली वेबसाइटों का पता लगाते हैं।

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