Current क्या होता हैं, इसके प्रकार और मापन

नमस्कार दोस्तों आज की पोस्ट में हम Current की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।

पिछली पोस्ट में हमने Computer Virus की जानकारी शेयर की थी तो उस आर्टिकल को भी पढ़े।

चलिए आज हम Current क्या होता हैं, इसके प्रकार और मापन की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।

Current क्या हैं

जब किसी चालक में इलेक्ट्रॉन एक स्थान से दूसरे स्थान पर बहने लगते है तो इलेक्ट्रॉन के प्रवाह के कारण इसमें धारा उत्पन्न हो जाती है।

या इलेक्ट्रिक चार्ज उत्पन्न होते हैं और इसी इलेक्ट्रिक चार्ज के एक निश्चित समय मे बहाव की मात्रा को current कहते हैं।

मतलब किसी बिन्दु पर आवेश प्रवाह की दर current कहलाता है। जिस प्रकार ऊचे स्थान से नीचे स्थान पर पानी का प्रवाह होता है उसी प्रकार current प्रवाह का कारण वोल्टेज होता है।

Current का S.I मात्रक और मापन

Current का S.I मात्रक एम्पियर या कुलाम/सेकंड होता है एम्पीयर को A से दर्शाते है और current को I से दर्शाते हैं धारा का मापन अमीटर की सहायता से किया जाता है।एम्पीयर SI मूल इकाई है और इसका नाम विद्युतचुम्बकत्व को खोजने वाले वैज्ञानिक आंद्रे-मैरी एम्पीयर के नाम पर रखा गया है।

इलेक्ट्रिकल चार्ज कैरियर जिसे हम इलेक्ट्रॉन कहते हैं, उसी के फ्लो को करंट कहते हैं। करंट इन इलेक्ट्रॉन के माध्यम से फ्लो होता है।

यह निगेटिव से पोजिटिव पॉइंट की तरफ बहता है। एम्पीयर में करंट के बहाव को मापा जा सकता है कि कितनी शक्ति में करंट फ्लो कर रहा है। एक एम्पीयर का अर्थ होता है

एक कुलाम इलेक्ट्रिकल चार्ज एक यू​नीक पॉइंट को एक सेकेंड में पास कर रहा है। इलेक्ट्रिकल करंट का प्रयोग इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक डिवाइस में पॉवर देने के लिए होता है।

उदाहरण के लिए हमारे कंप्यूटर से लेकर घर में चल रहे पंखे तक हर किसी में इलेक्ट्रिकल करंट फ्लो करता है। हालांकि हर डिवाइस में फ्लो करने वाला करंट अलग अलग प्रकार का होता है।

जैसा कि आप जानते है कि करंट का मतलब इलेक्ट्रॉन का फ्लो होना होता है तो आपको अब यह समझ में आ ही गया है कि किसी भी इलेक्ट्रोनिक या इलेक्ट्रिक डिवाइस को चलाने के लिए इलेक्ट्रॉन को उसके इलेक्ट्रिकल सिस्टम में दौड़ाना पड़ता है।

धारा = आवेश / समय

I = dq/dt

वोल्टेज के बिना करंट मौजूद नहीं है। करंट के कारण चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।

करंट के प्रकार

करंट दो प्रकार का होता है।

  1. Alternating current
  2. Direct current

1. Alternating Current

अल्टरनेटिंग करंट वह करंट होता है जो डायरेक्ट फ्लो होने की बजाए साइन वेव में फ्लो होता है। अल्टरनेटिंग करंट में करंट सीधे फ्लो नहीं होता है।

उदाहरण के लिए एक सर्किट को लेते हैं। सर्किट में एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने के लिए अल्टरनेटिंग करंट साइन वेव में जाएगा।

यह डायरेक्ट करंट के बिल्कुल विप​रीत है। alternating current के sourcealternating current को हम AC जनरेटर या जनरेटर थर्मल पावर प्लांट, हाइड्रो पावर प्लांट, नाभिकीय पावर प्लांट तथा थर्मल पावर प्लांट से प्राप्त कर सकते हैं।

2. Direct Current

डायरेक्ट करंट सीधे फ्लो करता है।

यह अल्टरनेटिंग करंट के उल्टा काम करता हैं। इसमें करंट सीधे ही दूसरे बिंदु पर बिना रूक और बिना किसी डायवर्शन के फ्लो करता है। जबकि अल्टरनेटिंग करंट उपर नीचे होता हुआ दूसरे बिंदु तक पहुंचता है।

डायरेक्ट करंट को सीधे से उदाहरण के माध्यम से समझने के लिए आप एक बैटरी के करंट को देख सकते हैं। बैटरी के करंट में डायरेक्ट करंट होता है।

direct current के sourcedirect current को हम विद्युत सेल और बैटरी, DC जनरेटर, शुष्क सेल, लेड एसिड बैटरी, कार डायनमो से प्राप्त कर सकते हैं। Ac ओर dc में अंतर Ac करंट – एक प्रत्यावर्ती धारा एक विधुत प्रवाह हैं जो प्रवाह के लिए दिशा बदलता हैं।

Dc – एक प्रत्यक्ष धारा एक विधुत प्रवाह हैं जो हमेशा एक ही दिशा में बहता हैं जिसे direct current करते हैंकरंट को कैसे मापते है।

जैस कि आपको पता है कि करंट को मापने की यूनिट को हम एम्पीयर कहते हैं। तो जो भी करंट मापा जाएगा उसे हम एम्पीयर यूनिट में ही काउंट करेंगे। तो करंट फ्लो को मापने के लिए हम ओम के नियम का प्रयोग करते हैं। जो करंट कंडक्टर से फ्लो करता है उसका माप दूरी दो बिंदु के बीच होता है।

यानि कि कंडक्टर के दो बिंदु के बीच जहां करंट फ्लो करता है वहां उन दोनों बिंदु के बीच का दूरी ही करंट की फ्लो है। जो स्थिर समानता में प्रयोग होता है उसे रजिस्टेंस कहते हैं और इसका गणितीय समीकरण I =V/R बनती है।

ओम का नियम संपादित करें ओम के नियम के अनुसार, एक आदर्श प्रतिरोधक में प्रवाहित धारा, विभवान्तर के समानुपाती होती है।

दूसरे शब्दों में,

I = V/R

जहाँI धारा, (एम्पीयर में)V विभवांतर, (वोल्ट में)R प्रतिरोध, (ओह्म में) विद्युत धारा को I से दर्शाते है धारा धनात्मक सिरे से ऋणात्मक सिरे की ओर बहती है।

किसी Circuit में Q आवेश t समय के लिए प्रवाहित किया जाता है तो विद्युत धारा I होगी तब इसका सूत्र –

I =Q/t

धारा = आवेश /समय

चार्ज फ्लो होने की रेट को इलेक्ट्रिक करंट कहते है यहाँ पर चार्ज इलेक्ट्रानों पर होता है जिस दिशा में इलेक्ट्रॉन बहते है उसके उल्टी दिशा में धारा बहती है धारा पॉजिटिव सिरे से नेगेटिव की ओर फ्लो होती है।

करंट फ्लो होने पर हिट पैदा होती है करंट के फ्लो होने पर हीट और चुम्कीय प्रभाव पैदा होते हैं। जब कोई करंट कंडक्टर से गुजरता है या फ्लो करता है तो हीट जेनरेट होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कंडक्टर में ओमिक कम हो जाता है।

ओमिक के घटने पर ही हीट पैदा होती है। करंट के फ्लो होने पर जो हीट पैदा होती हैं उसी से बल्ब जलते हैं। बल्ब के अंदर फिलामेंट लगा होता है जिससे करंट पास किया जाता है। करंट पास होने पर फिलामेंट गर्म होता है और जलने लगते है।

करंट फ्लो क्या होता है

जैसा कि हमने उपर बताया कि करंट फलो का मतलब इलेक्ट्रोन्स का एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाना होता है। लेकिन इसमें ऐसा नहीं है कि इलेक्ट्रोन्स डायरेक्ट एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक चले जाते हैं।

बल्कि इलेक्ट्रॉन्स कम दूरी तक ही जाते हैं। पहले अपने पास वाले एटोम तक जाते हैं इसके बाद यह अगले एटोम तक जाते हैं इसके बाद यह एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक पहुंच जाता है। इलेक्ट्रॉन्स में चार्ज होते हैं।

इलेक्ट्रॉन्स को चार्ज कैरियर के रूप में प्रयोग किया जाता है। करंट निगेटिव बिंदु से पॉजिटिव और पॉजिटिव से निगेटिव की तरफ फ्लो करता है।कौन सा करंट बेहतर है !!दोनों ही करंट का प्रयोग किया जाता है। लेकिन AC करंट का प्रयोग अधिक होता है।

AC करंट का प्रयोग घरों के बिजली सिस्टम में होता है। क्योकि बिजली उत्पादन प्लांट में जब हाईवोल्टेज बिजली पैदा होती है तो उस बिजली को इतनी हाई वोल्टेज के साथ सीधे घरों तक नहीं भेजा जा सकता है।

ऐसे में AC करंट से वोल्टेज को तोड़ कर घरों तक पहुंचाया जाता है। अल्टरनेटिव करंट में हाईवोल्टेज करंट को तोड़ना आसान होता है। जबकि डायरेक्ट करंट में यह काम मुश्किल होता है। ऐसे में अल्टरनेटिव करंट का प्रयोग घरों में होता है।

करंट की दिशा पॉजिटिव चार्ज फ्लो अधिक कैपेसिटी से कम कैपेसिटी की ओर होता है तथा करंट फ्लो भी अधिक कैपेसिटी से कम कैपेसिटी की ओर होता है इसलिए हम कह सकते है की पॉजिटिव चार्ज तथा करंट की दिशा एक ही होती है।

नेगेटिव चार्ज फ्लो कम कैपेसिटी से अधिक कैपेसिटी की ओर होता है तथा करंट की दिशा अधिक कैपेसिटी से कम कैपेसिटी की ओर होती है इसलिए हम कह सकते है की नेगेटिव चार्ज (इलेक्ट्रॉन) फ्लो करंट की दिशा के उल्टा होता है।

धारा एक अदिश राशि है पर क्यों ?

हमने ऊपर धारा का सूत्र (Q/t) पढ़ा हैं इस सूत्र में हम देख सकते है की यहाँ दो राशियाँ आ रही है आवेश, समय, और दोनों राशियाँ ही अदिश राशियाँ है इसलिए विद्युत धारा भी अदिश राशि है।

आशा हैं कि आपको करंट से रिलेटेड पूरी जानकारी मिल गई होगी यह आर्टिकल पसंद आया हो तो आपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करें।

जरूर पढ़िए :
Capacitor की परिभाषाTransistor की परिभाषा
MOSFET की परिभाषाVaristor की परिभाषा

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