हैलो दोस्तों आज हम इस पोस्ट से फ्लॉपी डिस्क क्या है इसके बारे में बताया जाने वाला है। आपने floppy disk का नाम हार्ड डिस्क की तरह जरुर सुना होगा और इसके बारे में आपको कुछ जानकारी भी होगा। यदि आपको इसके बारे में ज्यादा जानकारी नही है तो चिंता की कोई बात नही है आपको इस आर्टिकल में फ्लॉपी डिस्क के बारे में विस्तार से बताया गया है।
किसी भी कंप्यूटर उपयोगकर्ता और उसमे रूचि रखने वाले लोगो के लिए इसके बारे में जानना बेहद ही जरुरी है। फ्लॉपी डिस्क एक स्टोरेज मीडियम होता है दरअसल floppy disk 1970 – 80 में बहुत ज्यादा इस्तेमाल में लिया जाता था और उस समय पर यह कंप्यूटर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला स्टोरेज डिवाइस था।
floppy disk एक मैग्नेटिक स्टोरेज मीडियम होता है जिसके अन्दर एक बहुत ही पतली और फ्लेक्सिबल मैग्नेटिक डिस्क लगा रहता है। इसके बारे में और भी चीजो के बारे में जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े। तो चलिए बिना किसी देर के जानते है फ्लॉपी डिस्क क्या है? और इसके कितने प्रकार है?
Floppy Disk क्या है? (What is Floppy Disk In Hindi)
Definition -: “Floppy Disk एक सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस है जिसे floppy diskette, floppy, or floppy disk drive के नाम से भी जाना जाता है। इसका उपयोग कम्प्यूटर्स में इलेक्ट्रॉनिक डेटा (जैसे कम्प्यूटर्स फाइल्स) को स्टोर करने के लिए किया जाता हैं।
यह कम्प्यूटर्स में इस्तेमाल किया जाने वाला एक primary removable storage medium था जिसे जरुरत पढ़ने पर बड़ी आसानी से कंप्यूटर से रिमूव किया जा सकता था। इसे mini disk भी कहा जाता है।
फ्लॉपी डिस्क का इतिहास क्या है
फ्लॉपी डिस्क का आविष्कार सन 1967 में Alan Shugart के द्वारा किया गया था। जब इसे डिजाईन किया गया था उस समय पर इसका आकार करीब 8 इंच का था परन्तु इसके आकार में समय के साथ काफी बदलाव आया।
इसके आविष्कार के बाद इसके आकार को 8 इंच से कम करके 5.25 इंच कर दिया गया था बाद में इसके आकार में और बदलाव आये और इसे कम करके 3.5 इंच कर दिया गया था।
इसका सबसे दिलचस्प बात तो यह था की इसे जब बनाया गया था तो उस समय यह केवल डाटा को रीड करने के लिए ही इस्तेमाल में आता था परन्तु बाद में यह रीड और write दोनों के लिए होने लगा था।
फ्लॉपी डिस्क के प्रकार
Floppy के अलग अलग types के विषय में जानते हैं.
1. 8 इंच फ्लोपी
पहली फ्लोपी डिस्क IBM द्वारा 1960 के आखिरी में डिजाईन की गई थी तथा फिर 1970 में पहले Read-Only फोर्मेट की तरह तथा Read-Write फोर्मेट की तरह उपयोग की गई थी. विशिष्ट Desktop/Laptop ,Computer 8 इंच फ्लोपी डिस्क का उपयोग नहीं करते है. इसकी शुरूआती क्षमता 100K Bytes (100000 कैरेक्टर्स) थी.
2. 5.25 इंच फ्लोपी (मिनी फ्लोपी)
इस फ्लोपी में मैग्नेटिक सर्फेस एक पतली विनायेल जैसकेट से ढकी जाती है. इसे common size की PCs के लिए बनाया गया था सन 1987 से पहले और इसे 8-inch floppy disk का predecessor भी कहा जाता है.
5.25 फ्लोपी की स्टोरेज क्षमता Storage Capacity Of Floppy यह सिंगल साइड या डबल साइड दोनों हो सकती है. यह घनत्व रिकॉर्ड रखती है.
यह दो प्रकार की होती है –
- DSDD (Double Sided Double Density) – 360 KB
- DSHD (Double Sided High Density) – 1.2 MB
5.25 फ्लोपी की स्टोरेज क्षमता Storage Capacity Of Floppy
- DSDD (Double Sided Double Density) – 720 KB
- DSHD (Double Sided High Density) – 1.44 MB
- DSED (Double Sided Extra High Density) – 2.88 MB
3. 3½-inch Floppy :
इस Floppy की size बहुत ही छोटी होती है, क्यूंकि इन्हें आसानी से एक rigid envelope में encashed भी किया जा सकता है. इसके छोटे size के वाबजूद, microfloppies की बहुत ज्यादा storage capacity
फ्लॉपी डिस्क का सबसे बड़ा फायदा यह था कि ये पोर्टेबल थे. इसका आकार बहुत छोटा था जिससे कि यूजर इसकी मदद से छोटे आकार के फाइल को भी आसानी से एक स्थान से दुसरे स्थान में ले जा सकते थे.
फ्लॉपी डिस्क आकार में छोटे और कम वजनी थे.
उस समय पर फ्लॉपी डिस्क की कीमत अन्य स्टोरेज डिवाइस की तुलना में बहुत कम थी.
फ्लॉपी डिस्क में स्टोर डेटा को Random Order में Access कर सकते थे.
1990 के दशक तक फ्लॉपी डिस्क कंप्यूटर के मुख्य स्टोरेज डिवाइस थे
3.5 इंच की फ्लॉपी ड्राइव को साल 1985 में सोनी कंपनी ने लांच किया था। यह उस वक्त केवल HP -150 या MSX कंप्यूटर में इसकी ड्राइव हुआ करती थी। लेकिन बाद में इसकी लोकप्रियता को बढ़ते देख दूसरी कंपनियों जैसे एप्पल , अमिगा , अटारी , कोमोडोर एस्टी लाइन ने अपनों डिवाइस को 3.5 इंच के फ्लॉपी के साथ करने लगे। जिसके बाद से 3.5 इंच का फ्लॉपी डाटा स्टोरेज का मानक बन गया और सभी डिवाइस इसी फॉर्मेट में आनें लगे।
फ्लॉपी डिस्क के घटक
फ्लॉपी डिस्क माइलर का एक लचीला वृत्ताकार टुकड़ा होता है। इस डिस्क में डाटा पढ़ने और लिखने की सुविधा के लिए इसमें दोनों ओर चुंबकीय पदार्थ लेपित होता है। माइलर प्लास्टिक सामग्री से ही बनाई जाती है। फ्लॉपी की अधिकतम भण्डारण क्षमता 1.44 MB मेगाबाइट तक होती है।
इस डिस्क की सुरक्षा के लिए एक चौकोर कवर होता है जिस पर एक खिसकने वाला धातु का कवर होता है। इस कवर के अंदर डिस्क को साफ़ करने वाली ब्रश भी होती है। एक 3.5 इंच आकर के फ्लॉपी डिस्क की मोटाई लगभग 2 mm होती है।
फ्लॉपी डिस्क के केंद्र में धातु की बनी धुरी लगी रहती है जिसके ऊपरी किनारे पर कवर लगा होता है जो डिस्क के रीड राइट करने की आयताकार जगह को ढककर रखता है। इसमें राइट प्रोटेक्ट नौच भी होता है जो एक छोटा सा प्लास्टिक का टुकड़ा या टैब होता है। जिसे एक स्थिति में सेट करने से इसके डाटा को केवल पढ़ा जा सकता है। तथा दूसरी स्थिति में सेट करने से इस पर डाटा रीड और राइट दोनों की जा सकती है।
इसमें डाटा ट्रैक co central वृत्ताकार (circular) पथों में बना होता है और सभी ट्रैक कई भागों में बंटा होता है जिन्हे सेक्टर कहते है। प्रत्येक सेक्टर में 512 बाइट होते है। एक उच्च घनत्व वाली 3.5 इंच की डिस्क में 135 TPI होती है।
TPI का मतलब tracks per inch होता है। TPI ट्रैकक्स उन ट्रैक्स की संख्या होती है जितनी एक डिस्क की क्षमता होती है। जैसे एक 5.25 इंच की फ्लॉपी डिस्क में 48 TPI है, जबकि हार्ड ड्राइव में बहुत अधिक TPI होती है, जो हजारों में हो सकती है।
फ्लॉपी डिस्क के प्रत्येक ट्रैक में कुछ महीन चुंबकीय चिन्ह बने होते है। जिसमे एक दिशा में बने चिन्ह बाइनरी अंक 1 को संदर्भित करते है जबकि उसकी विपरीत दिशा में बने चिन्ह बाइनरी 0 को व्यक्त करते है। इस तरह से माइलर से बने इन चुंबकीय डिस्को पर बाइनरी कोड में कोई भी डाटा या सुचना राइट की जा सकती है
फ्लॉपी डिस्क के लाभ (Advantages of Floppy Disks in Hindi)
Floppy disks की स्टोरेज कैपेसिटी काफी कम होती है इसमें हम high-resolution वाले photos, music, videos आदि को स्टोर नहीं कर सकते हालांकि फ्लॉपी डिस्क की इन कमियों के बावजूद इसके कुछ लाभ भी थे जो कि निम्नलिखित है -:
- Portability
- Compatibility
- Small
- Easy to carry
- Cheap
- Random Access
1. Portability
floppy disks की सबसे बड़ी advantages ये थी कि ये पोर्टेबल थे | 3.5-inch वाले floppy disk, CDs की तुलना में छोटे थे | इन्हे ज्यादा जगह की जरुरत नहीं होती थी |
फ्लॉपी डिस्क, प्लास्टिक पर ferric oxide or magnetic oxide की एक पतली कोटिंग से बनी डिवाइस है जो इसे मजबूत बनाती है |
इनमे CDs और DVDs की तुलना में, डिस्क को खरोच आने की सम्भावना कम होती है क्योकि यह आवरणों से घिरा होता है |
इसका छोटा आकर इसे काफी पोर्टेबल बनता है | इसके माध्यम से यूजर छोटे साइज की फाइल्स को बड़े ही आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान ले जा सकता है |
2. Compatibility
पुराने कंप्यूटर किसी दूसरे स्टोरेज डिवाइस के साथ संगत नहीं थे ये केवल फ्लॉपी डिस्क के साथ compatible थे | 1990 के दशक के कम्प्यूटर्स में फ्लॉपी डिस्क ही केवल एक ऑप्शन था डेटा और फाइल्स को ट्रांसफर करने का |
3. Small
Floppy disks एक हल्के और छोटे साइज के स्टोरेज डिवाइस है | इनकी स्टोरेज कैपेसिटी भी कम होती थी इसलिए ये कम साइज के फाइल को ट्रांसफर करने के लिए काफी उपयोगी थे |
4. Easy to carry
चूँकि ये साइज में छोटे होते है इसलिए इसे बड़े ही आसानी से एक स्थान से दूसरी स्थान ले जाया जा सकता था साथ ही इन्हे हैंडल करना भी बड़ा ही आसान था |
5. Cheap
फ्लॉपी डिस्क उस समय के स्टोरेज devices की तुलना में काफी सस्ते होते थे |
6. Random access method
फ्लॉपी डिस्क में स्टोर डेटा को रैंडम आर्डर में एक्सेस किया जा सकता है |
फ्लॉपी डिस्क के नुकसान (Disadvantages of Floppy Disks in Hindi)
फ्लॉपी डिस्क के नुकसान निम्नलिखित हैं।
- Speed
- Storage Space
- Reliability
- Physical Damages
- Not in use
1. Speed
floppy disk एक स्लो स्टोरेज डिवाइस है इसमें डेटा ट्रांसफर रेट काफी कम होता है | जब फ्लॉपी डिस्क में स्टोर डेटा को कंप्यूटर में या कंप्यूटर में स्टोर डेटा को फ्लॉपी डिस्क में ट्रांसफर किया जाता है तब इसमें काफी ज्यादा समय लग जाता है |
2. Storage Space
floppy disk की storage क्षमता काफी कम होती है इसमें हम काफी कम मात्रा में डेटा को स्टोर करके रख सकते है |
फ्लॉपी डिस्क की स्टोरेज क्षमता आज के मॉडर्न कंप्यूटर में उपयोग होने वाली स्टोरेज डिवाइस से काफी कम थी |
3. Reliability
floppy disk में heat और magnetic fields के कारण File corrupt हो सकते है जो कि फ्लॉपी डिस्क की सबसे बड़ी Disadvantages है |
floppy disks बाकी स्टोरेज डिवाइस की तुलना में कम सुरक्षा प्रदान करता है इनमे कंप्यूटर वायरस का खतरा रहता है जिससे भी फाइल्स corrupt हो जाते है |
यह हार्ड डिस्क की तरह रिलायबल स्टोरेज डिवाइस नहीं है |
4. Physical Damages
प्लास्टिक की आवरण का उपयोग फ्लॉपी डिस्क बनाने के लिए किया जाता था जिससे ये काफी नाजुक और लचीले होते थे | यदि कोई इसे बिना उचित देखभाल के पकड़ लेता है तो यह आसानी से टूट सकता है |
5. Not in use
आज कल जितने भी कंप्यूटर मार्किट में आ रहे है उनमे फ्लॉपी डिस्क के लिए जगह नहीं है इसलिए फ्लॉपी डिस्क का उपयोग लगभग ख़त्म हो गया है
फ्लॉपी डिस्क की स्टोरेज क्षमता बहुत कम थी.
फ्लॉपी डिस्क में डेटा ट्रान्सफर रेट बहुत कम था. फ्लॉपी डिस्क में डेटा ट्रान्सफर करने में बहुत अधिक समय लगता था.
फ्लॉपी डिस्क में चुम्बकीय क्षेत्र और गर्मी के कारण फाइल Corrupt भी हो सकते थे. यह फ्लॉपी डिस्क का सबसे बड़ा नुकसान था.
वर्तमान समय में फ्लॉपी डिस्क का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
फ्लॉपी डिस्क की क्षमता
File Transfer करना : ये 3.5-inch floppy disk drives एक प्रकार से universal standard हुआ करते थे file transfers के लिए computers के बीच. Compression utilities के होने से ये files को compress होने में मदद करते थे।
चूँकि 3.5-inch floppy disk drives standardized हुआ करते थे, इसलिए data को आसानी से transferred किया जा सकता था वो भी efficiently और reliably. इनकी efficiency और बढती popularity के कारण ही, इस technology को incorporated किया गया Apple और UNIX-based systems में, जिससे दो अलग platforms के भीतर file transfers होना संभव हुआ.
Data Storage : Floppy disks का इस्तमाल data storage के हिसाब से और important information को back up करने के लिए होता था. उस समय यही सबसे बेहतरीन तरीका था data को retain करने का।
ये medium को बहुत ही efficient माना गया क्यूंकि उस समय इसकी ही सबसे ज्यादा capacity थी जो की थी 1.44 MB, इसके साथ cross-platform compatibility का होना.
Software और Drivers : एक बहुत ही important applications था 3.5-inch floppy disks का, वो ये की programs और services का distributionम जिसमें software और driver updates मुख्य थे, उन्हें आसानी से Floppy Disk के जरिये किया जाता था।
आशा है आपने secondary memory की पोस्ट पूरी जरूर पढ़ी होगी पोस्ट पसंद आई हो तो दोस्तो के साथ शेयर जरूर करें।
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