सॉफ्टवेयर क्या है और इसके प्रकार

हैलो दोस्तो आज के पोस्ट में हम जानेंगे सॉफ्टवेयर क्या है, सॉफ्टवेयर का इतिहास, सिस्टम सॉफ्टवेयर के कार्य, सॉफ्टवर की परिभाषा, सॉफ्टवर कैसे काम करता है,  सॉफ्टवेयर के प्रकार, Software और Hardware मे अंतर और उदाहरण इस बारे में जानेंगे। 

आज के इस युग को देखें तो कंप्यूटर हमारी एक बुनयादी जरूरत है, हम ऑफिस या घर दोनों जगह अपने काम को करने के लिए इसका उपयोग करते है। यह यह कहे कि आज की दुनिया कंप्यूटर से चलने वाली दुनिया है, जहां हर कार्य कंप्यूटर के माध्यम से होता है। आमतौर पर कंप्यूटर सिस्टम को दो प्रमुख भागों में वर्गीकृत किया जाता है: Hardware और Software इन दोनों के बिना कंप्यूटर का कोई अस्तित्व नही है। 

आसान भाषा मे कहे तो सॉफ्टवेयर एक तरह का टूल है, जो यूजर को कंप्यूटर में Hardware Parts के साथ बातचीत करने में मदद करता है। बिना Software आप कंप्यूटर को चलाने में सक्षम नही होंगे। आगे हम आपको यह तो बताएंगे ही कि, Software किसे कहते है? साथ ही यह कितने प्रकार के होते है? इस बारे में भी सम्पूर्ण जानकारी देंगे। 

सॉफ्टवेयर क्या होता है 

सॉफ्टवेयर बहुत सारे प्रोग्राम्स का संग्रह होता है जो एक कंप्यूटर के विशिष्ट कार्य को करता है।

हम अपने Computer में जितने भी Task करते हैं वो सभी इस software के माध्यम से ही संपन होते हैं. क्योकि

सॉफ्टवेयर कंप्यूटर प्रोग्राम का Collection होता है। जिसके द्वारा कंप्यूटर को बताया जाता है कि उसे क्या करना है यह इसे कैसे करना है। सामान्यतः हम कह सकते है कि सॉफ्टवेयर ऐसे निर्देश या प्रोग्राम होते हैं। जो हार्डवेयर को कार्य करने के निर्देश देते हैं।

एक कंप्यूटर सिस्टम द्वारा जब किसी भी कार्य को किया जाता है। तो उस समय पर हार्डवेयर उपकरणों को नियंत्रित करने के लिए सॉफ्टवेयर ही उत्तरदायी होता है। इसके अभाव में किसी Input Device और Output Device को व्यक्ति द्वारा नियंत्रित व निर्देशित नहीं किया जा सकता।

सॉफ्टवेयर ही कंप्यूटर सिस्टम के सभी Operation को नियंत्रित करता है और उसके संचालन में अहम भूमिका निभाता है। ये ऐसे प्रोग्राम होते हैं जिन्हें हम देख सकते है और जिनका हम प्रयोग कर सकते है। परंतु हम इन्हें स्पर्श नही कर सकते हैं।

सॉफ्टवेयर का इतिहास | (History of Software)

सॉफ्टवेयर कंप्यूटर में प्रोग्राम किए गए निर्देशों का एक सेट होता है जो CPU द्वारा निष्पादन के लिए डिजिटल कंप्यूटर की मेमोरी में संग्रहीत होकर रहता है। सॉफ्टवेयर मानव इतिहास में एक आधुनिक विकास है, और यह सूचना युग के लिए मौलिक चीज है।

19वीं शताब्दी में Charles Babbage’s के Analytical Engine के लिए Ada Lovelace के प्रोग्राम को अक्सर सॉफ्टवेयर अनुशासन का संस्थापक माना जाता है, हालांकि गणितज्ञ के प्रयास केवल सैद्धांतिक ही रहे, क्योंकि Lovelace और Babbage’s के दिन की तकनीक उनके कंप्यूटर के निर्माण के लिए अपर्याप्त साबित हुई। 

Alan Turing को 1935 में सॉफ्टवेयर के लिए एक सिद्धांत के साथ आने वाले पहले व्यक्ति होने का श्रेय दिया जाता है, जिसके कारण कंप्यूटर विज्ञान और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के दो शैक्षणिक क्षेत्र सामने आए और इसका विकास हुआ।

सॉफ्टवेयर के बारे में सबसे पहला सिद्धांत, कंप्यूटर के निर्माण होने से पहले, जैसा कि आज हम जानते हैं, Alan Turing ने अपने 1935 के निबंध, On Computable Numbers में, निर्णय समस्या के लिए एक आवेदन के साथ प्रस्तावित किया था।कंप्यूटर विज्ञान जैसे की कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर का सैद्धांतिक अध्ययन करना होता है, जबकि सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग सॉफ्टवेयर के विकास के लिए इंजीनियरिंग सिद्धांतों का अनुप्रयोग होता है। 

1946 से पहले, सॉफ़्टवेयर अभी तक संग्रहीत-प्रोग्राम डिजिटल कंप्यूटरों की मेमोरी में संग्रहीत प्रोग्राम नहीं होता था, जैसा कि अब हम इसे समझते हैं; इसके बजाय पहले इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटिंग उपकरणों को “reprogram” करने के लिए रीवायर किया जाता था।

1940 के दशक के अंत में प्रारंभिक स्टोर-प्रोग्राम डिजिटल कंप्यूटरों के लिए सॉफ़्टवेयर की पहली पीढ़ी के प्रोग्राम और निर्देश सीधे बाइनरी कोड में लिखे जाते थे, जो आमतौर पर यह निर्देश मेनफ्रेम कंप्यूटरों के लिए लिखे गए थे। बाद में, होम और पर्सनल कंप्यूटर की उन्नति होने के साथ-साथ आधुनिक प्रोग्रामिंग भाषाओं के विकास होने से उपलब्ध सॉफ़्टवेयर के दायरे का विस्तार हुआ, जिस से असेंबली भाषा से शुरू होकर, और कार्यात्मक प्रोग्रामिंग और ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग प्रतिमानों के माध्यम से सॉफ्टवेयर लिखने में सुविधा प्राप्त हुआ।

सिस्टम सॉफ्टवेयर के कार्य (Work of System Software In Hindi)

उपयोगकर्ता एवं कम्पयूटर के मध्य संबंध स्थापित करना।

अन्य सभी सॉफ्टवेयरों का कम्प्यूटर में संचालन

कम्प्यूटर की सभी पेरीफेरल युक्तियों जैसे इनपुट डिवाइसेज, आउटपुट डिवाइसेज, मेमोरी (storage devices) एवं CPU का नियंत्रण एवं संचालन।

अन्य सॉफ्टवेयरों को तैयार करना होता है।

सॉफ्टवर की परिभाषा (Definition of Software)

Programming Language में लिखे गए निर्देशों (Instructions) या प्रोग्रामों के समूह को Software कहा जाता है। इसका कार्य Computer को और उसके अन्य पार्ट्स को कार्यशील बनाना है। यह Computer को बताता है कि उसे क्या और कैसे करना है। Software पूरी तरह से Hardware के अलग होता है। फिर भी एक दूसरे के पूरक होते हैं। किसी एक बिना Computer काम नहीं कर सकता है।

जैसा कि ऊपर हमने बताया है कि Software प्रोग्रामों या निर्देशों का समूह होता है। जिसे Programming Language में लिखा जाता है। Programming Language को Computer Language भी कहा जाता है। यह Hardware से भिन्न और एक दूसरे के पूरक होते हैं। पूरक कहने का मतलब है कि किसी एक के बिना Computer काम नहीं करेगा। काम करने के लिए दोनो का होना जरूरी है। Software का कार्य Computer को कार्यशील बनाना और Computer को बताना है कि उन्हें करना क्या है। इसके कार्य को नीचे विस्तारपूर्वक जानेंगे।

सॉफ्टवर कैसे काम करता है? (Software Work)

जैसा कि हमने बताया है कि Computer सिर्फ Machine Language को समझता है। वहीं Software में Instructions होते हैं। जिसके अनुसार Computer कार्य करता है। लेकिन अगर हम Software में Instructions अपने Language (जैसे; हिंदी और अंग्रेजी आदि) में देते हैं। तब वह Instructions को Computer समझ नहीं पता है। क्योंकि Computer को हिंदी और अंग्रेजी भाषा समझ नहीं आता है। इसलिए जो Language Computer समझता है। उसी Language में Software में Instructions दिया जाता है और उसे तैयार  किया जाता है।

इसलिए Software को Machine Language में बनाना पड़ता है। लेकिन Machine Language को समझना हमारे लिए एक कठिन कार्य होता है। इसलिए समय के साथ Computer Language में विकास किया गया। जिसके फलस्वरूप Assembly Language और High Level Programming Language विकसित हुआ। ये दोनो Language को Computer Language कहा जाता है। ये Computer Language Machine Language की तुलना में आसान होता है। सबसे आसान High Level Programming Language है।

इसलिए अब Software को High Level Programming Language से बनाया जाता है और इसी Language से Instructions दिया जाता है। लेकिन Computer High Level Language को भी सीधे नहीं समझता है। क्योंकि इसे सिर्फ Machine Language आता है। इसलिए High Level Programming Language को सबसे पहले Compiler की मदद से Compile किया जाता है। इस प्रक्रिया को Compiling कहते हैं। Compiling में High Level Language Machine Language में बदल जाता है। इस तरह Computer High Level Language में बने Software को समझता है।

सॉफ्टवेयर के प्रकार (Types of software)

सॉफ्टवेयर को उनके कार्य करने की क्षमताओं और उनकी विशेषताओं के कारण भिन्न-भिन्न भागों में विभाजित किया जाता है। जो मुख्यतः इस प्रकार हैं-   

1. System Software

सिस्टम सॉफ्टवेयर उन प्रोग्राम्स का एक समूह होता है। जो कंप्यूटर सिस्टम के Hardware उपकरणों को नियंत्रित करने, मैनेज करने आदि के लिए उत्तरदायी होते हैं। ये वे प्रोग्राम होते हैं जो कंप्यूटर के इंटरनल कार्यो को कंट्रोल करते हैं और हार्डवेयर को चलाने में सहायक होते हैं।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एक ऐसा सॉफ्टवेयर जो कंप्यूटर के आंतरिक कार्यों को नियंत्रित करता है। जैसे- डेटा को रीड करना, Processed इंफॉर्मेशन को ट्रांसमिट करना, डेटा या निर्देशो को Convert करना आदि। उसे सिस्टम सॉफ्टवेयर कहा जाता है। ये यूजर और कंप्यूटर उपकरणों के मध्य इंटरफेस का काम करता है।

सिस्टम सॉफ्टवेयर को उनके कार्यों के आधार पर 3 भागों में विभाजित किया जाता है। जो इस प्रकार हैं- 

● Operating System – यह एक प्रोग्राम है जो यूजर और हार्डवेयर के मध्य Interface की भांति कार्य करता है। ये वह प्रोग्राम है जो कंप्यूटर के विभिन्न भागों की गतिविधियों को नियंत्रित और सुपरवाइज़ करता है।

Operating सिस्टम का प्रमुख कार्य यूजर और हार्डवेयर के बीच एक कड़ी (Link) बनाना होता है। ये पूरे कंप्यूटर सिस्टम की सिस्टेमैटिक कार्य करने में सहायक होता है। जैसे- Windows XP/2000/98, MS-DOS, Unix, Linux आदि इसके कुछ उदाहरण हैं।

● Device Drivers – डिवाइस ड्राइवर एक प्रोग्राम है। जिसे विशेषकर किसी डिवाइस को Functional बनाने के उद्देश्य से तैयार किया जाता है। 

यह एक सिस्टम सॉफ्टवेयर है। जो विशेषतः एक डिवाइस और यूजर के मध्य Interface की तरह कार्य करता है। प्रत्येक डिवाइस फिर चाहे वो प्रिंटर हो, मॉनिटर हो या कोई अन्य सभी में एक ड्राइवर प्रोग्राम जुड़ा होता है। जिनकी सहायता से यह अपने कार्यों को अधिक क्षमता के साथ पूर्ण कर पाते हैं। 

● Language Processor- एक लैंग्वेज प्रोसेसर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को मशीन लैंग्वेज में बदलने का काम करता है। जिनका उपयोग Programming Language को Machine Language में Translate करने के लिए किया जाता हैं। इस प्रकार के सॉफ्टवेयर के मुख्य उदाहरण हैं- Assembler, Compiler और Interpreter

2. Utility Software

यह कंप्यूटर की Maintenance से संबंधित कार्यो को करता है। यूटिलिटी सॉफ्टवेयर कंप्यूटर प्रोग्राम को सपोर्ट देने,कार्य क्षमता में वृद्धि करने और उन्हें सुरक्षित रखने में सहायक होते हैं। इन Utilities को ऑपरेटिंग सिस्टम के Installation के साथ-साथ ही कंप्यूटर में Upload कर लिया जाता है। इन्हें भी कुछ श्रेणियों में बाँटा जाता है जैसे-

● Disk Compression

● Disk Framenters

● Backup Utilities

● Disk Cleaner

● Anti-virus आदि। 

3. Application Software

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर निर्देशो का वह समूह है। जिसे एक विशिष्ट कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। इसे end-user प्रोग्राम भी कहा जाता है। इनकी सहायता से यूजर कंप्यूटर पर अनेक काम कर सकते हैं। इस प्रकार के सॉफ्टवेयर को मुख्यतः 2 भागों में विभाजित किया जाता हैं- 

● General Purpose Software – इस प्रकार के सॉफ्टवेयर को सामान्य कार्य करने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया जाता है। इन्हें अलग अलग श्रेणियों में विभक्त किया जाता हैं। जैसे- Word Processing, Presentation, Database Management आदि। 

● Specific Purpose Software – इस प्रकार के सॉफ्टवेयर को विशिष्ट कार्यो को क्रियान्वित करने के उद्देश्य से तैयार किया जाता है। ये सामान्यतः एक  विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति हेतु तैयार डिज़ाइन किये जाते हैं।

उदाहरण के लिए जैसे- होटल मैनेजमेंट सिस्टम, रिजर्वेशन सिस्टम, रिपोर्ट कार्ड जनरेटर, Accounting सॉफ्टवेयर, Attendance सिस्टम, Billing सिस्टम आदि।

Software और Hardware मे अंतर

सोफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों एक दूसरे के साथ अटूट रूप से जुड़े हुए है। हार्डवेयर कभी भी सॉफ्टवेयर के बिना संचालित नहीं हो सकता।

यह सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर ये दोनो टर्म आपस में लिंक्ड है। जैसे जब आप किसी program को पर्चेस करते हैं, तब आप software को खरीदते हैं।

और, एक सॉफ्टवेयर को खरीदने के समय एक hardware पर्चेस करने की भी ज़रूरत होती है, जहां आप सॉफ्टवेयर को रिकॉर्ड कर सकते है।

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