Voltage क्या होता हैं
वोल्टेज एक इलेक्ट्रिकल बल होता है जिसके कारण किसी दो बिन्दुओ के मध्य धारा प्रवाहित होती है अर्थात दो बिंदुओ के मध्य पोटेंशियल के अंतर को वोल्टेज कहते है। इसे electromotive force (emf) भी कहते है।
तो एक वोल्टेज बल का उपयोग होता है जो चार्ज को एक बिंदु से दूसरे बिंदु पर ले जाता है। जिससे सर्किट बनता है। और इस सर्किट के अंदर धारा का प्रभाव होने लगता हैं।
वोल्टेज जो की करंट के फ्लो होने में मदद करता है। वोल्टेज को हम प्रेशर मान सकते हैं। किसी तार में वोल्टेज का प्रेशर जितना ज्यादा होगा उसमे उतनी ही ज्यादा करंट फ्लो होगी।
वोल्टेज हमेशा ज्यादा से कम की ओर बहती है। वोल्टेज चार्ज को धक्का देता है। इसमें इलेक्ट्रॉन को गतिमान करने की क्षमता होती हैं।
Voltage Electric charge मतलब आवेश को धक्का देने का काम करता है Voltage को V से दर्शाते है इसका S.I मात्रक volt होता हैं।
वोल्टेज के प्रकार
वोल्टेज दो प्रकार के होते है
- DC voltage
- AC voltage
1. DC voltage
DC voltage की दिशा समय के साथ स्थिर रहती हैं यह बैटरी या सेल से पैदा होती हैं।
2. AC voltage
AC वोल्टेज अल्टरनेटिंग से पैदा होती हैं मतलब दिशा में समय के साथ बदलाव होता हैं।
Ac
AC वोल्टेज वह बल हैं जो ac करंट को ac सर्किट में फ्लो करने के लिए उपयोग होता हैं।
Frequency होती हैं साइन वेब होती हैं
पावर फेक्टर होता हैं।
Ac सप्लाई अपनी दिशा और मान बदलता रहता हैं।
Ac के अंदर phase और Neutral होते हैं।
DC
यह DC करंट को DC सर्किट में फ्लो करने के लिए उपयोग होता हैं।
DC में Frequency नही होती हैं इसमे सिंपल लाइन होती हैं
इसमे पावर फेक्टर नही होता हैं।
DC सप्लाई अपनी दिशा और मान नही बदलते हैं वह एक ही दिशा में चलती हैं।
DC के अंदर positive और negative होता हैं।
वोल्टेज कैसे मापा जाता है।
voltage को मापने के लिए हम multimeter, voltmeter, potentiometer का उपयोग करते हैं। हमे जिस भी electric system का voltage मापना होता है हम multimeter की दोनो prog को system के parallel में लगा देते हैं।
Voltage ज्ञात करने के लये formula
इस formule से हम voltage, current और resistance ज्ञात कर सकते है।
V = I x R
यहाँ,
V – voltage (volts)
I – current (amps)
R – resistance (ohm/Ω)
Voltage के phase
Control voltage फैक्ट्री में इंस्ट्रूमेंटेशन से जुड़े कुछ उपकरण भी होते हैं जैसे, PLC कंट्रोल वाल्व, सोलेनॉइड जो 110 V और 24 V पर काम करता है। जिसका इस्तेमाल ट्रांसफार्मर से स्टेप डाउन द्वारा किया जाता है।
वोल्टेज के दो फेज होते हैं
Single phase voltage
घरेलू उपकरणों के लिए आवश्यक बिजली 230 वोल्ट A.C होती है जो सिंगल फेज वोल्टेज पर काम करती है। हमारे घर में लाइट, पंखे, फ्रीज, एसी जैसे घरेलू उपकरणों में 230V AC सिंगल फेज वोल्टेज होता है।
Three phase voltage
उद्योगों के बारे में बात करते हुए, 3 phase वोल्टेज जैसे रिएक्टर, कारखाने में चलने वाले Vessels 440 V AC की मोटर द्वारा संचालित होते हैं। उच्च स्तर में, कारखाने में राज्य सरकार बिजली बोर्ड से आने वाली बिजली ली जाती है। जहाँ HT वोल्टेज का उपयोग ट्रांसफार्मर से स्टेप डाउन द्वारा HT यार्ड में किया जाता है।
वोल्टेज का संयोजन
जब किसी विद्युत धारा स्त्रोत से वोल्टेज किया जाता है तब उसे वोल्टेज संयोजन की जरूरत पड़ती है मतलब दो स्त्रोतों को एक साथ जोड़ा जाता है इसके दो तरीके हैं
Series और Parallel
Series
Series से सभी स्त्रोतों का वोल्टेज एक साथ जुड़ जाता है वोल्टेज के संयोजन में वोल्टेज दुगना हो जाता है यदि दोनों स्त्रोत बराबर वोल्टेज आउटपुट देते हैं
उदाहरण – 1.5 वोल्ट के एक सेल से एक छोटी मोटर चल रही है पर जब दो इलेक्ट्रिक सेलों को सीरीज में जोड़ा जाता है।
तब वोल्टेज 1.5+1.5 = 3V हो जाएगा और उससे मोटर चलाएंगे तो मोटर की स्पीड बढ़ जाएगी।
Parallel
वोल्टेज के सभी स्त्रोतों 2 पैरेलल में जोड़ने पर वोल्टेज बदलता नहीं है परंतु उसका उपयोग करने पर समय बढ़ जाता है।
उदाहरण – 1.5 वोल्ट के 2 सेल लेते हैं और उन्हें पैरेलल में जोड़ते हैं तब उसका वोल्टेज 1.5V ही रहेगा लेकिन उसको कोई घड़ी में डालते हो तो 1.5 वोल्ट के एक सेल से घड़ी 6 महीने चलती है तो पैरेलल में 2 सेलों जुड़े होने से वह 12 महीने चलेगी।
वोल्टेज कैसे बनाया जाता है
जब एक विद्युत Conductive से बना एक तार एक चुंबकीय क्षेत्र से गुजरता है, तो विद्युत क्षेत्र में अंतर पैदा करने के लिए चुंबकीय क्षेत्र अपने परमाणुओं से इलेक्ट्रॉनों को Loose करता है, इस प्रकार वोल्टेज बनता है।
Voltage और volt में अंतर
वोल्टेज और volt में अंतर यह है कि वोल्टेज विद्युत धारा के बहाव का प्रेशर है और वोल्ट वोल्टेज मापने की इकाई है विद्युत स्त्रोतों को कैसे जोड़कर वोल्टेज बढ़ाया जाता है और कैसे उपयोग करने का समय बढ़ाया जाता है।
वोल्टेज ड्राप क्या है
वोल्टेज ड्राप होने का मतलब हैं वोल्टेज कम हो जाना। जो वोल्टेज हम सप्लाई कर रहे है, उतना वोल्टेज हमें अंत में नहीं मिलता हैं मतलब वोल्टेज ड्राप हो रहा है।
विद्युत का वहन करने के लिए हम कंडक्टर का उपयोग करते है। ये कंडक्टर अलग-अलग धातु का होता है। जिसमे कॉपर और एल्युमीनियम का कंडक्टर ज्यादा उपयोग होता है।
हर धातु की अलग रेजिस्टेंस वैल्यू होती है। इस रेजिस्टेंस की बजह से जो वोल्टेज इनपुट में दिया जाता है वो आउटपुट में नहीं मिलता। इसे वोल्टेज ड्राप कहते है।
कॉपर की तुलना में एल्युमीनियम का रेजिस्टेंस ज्यादा होता है। इसीलिए एल्युमीनियम केबल में वोल्टेज ड्राप ज्यादा होता हैं।
वोल्टेज ड्राप केबल की धातु, केबल की साइज एवं लम्बाई निर्भर करता है। जितनी ज्यादा लम्बाई होगी वोल्टेज ड्राप ज्यादा होगा।
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