विद्युतरोधी क्या है इसकी परिभाषा, प्रकार, गुण और अनुप्रयोग

हैलो दोस्तों आज के पोस्ट में हम विद्युतरोधी के प्रकार और कैसे काम करता है के बारे में पढेगे तो इस पोस्ट को आप पूरा जरूर पढ़े।

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चलिए इस पेज पर हम विद्युतरोधी क्या है इसकी परिभाषा, प्रकार, गुण और अनुप्रयोग की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।

विद्युतरोधी क्या है?

विद्युतरोधी (Insulator) वे पदार्थ होते हैं जो तुलनात्मक रूप से विद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करते हैं या जिनमें से होकर समान स्थितियों में बहुत कम धारा प्रवाहित होती है।

लकड़ी (सूखी हुई), बैकेलाइट, एस्बेस्टस, चीनी मिट्टी, कागज, पीवीसी आदि कुचालकों के कुछ उदाहरण हैं। वैद्युत प्रौद्योगिकी में जिस तरह सुचालकों, अर्धचालकों एवं अतिचालकों के विविध उपयोग हैं, उसी प्रकार कुचालकों के भी विविध प्रकार से उपयोग किये जाते हैं।

ये सुचालक तारों के ऊपर चढ़ाये जाते हैं विद्युत मशीनों के वाइंडिंग में तारों की परतों के बीच उपयोग किये जाते हैं उच्च वोल्टता की लाइनों को खम्भों या तावरों से आश्रय देने (लटकाने/झुलाने) आदि विविध कामों में प्रयुक्त होते हैं।

विद्युतरोधी के प्रकार

विद्युतरोधी तीन प्रकार के होते है।

  1.  विद्युतरोधी वे पदार्थ होते हैं जो बाह्य विद्युत् क्षेत्र लगाये जाने पर अपने में से विद्युत् धारा को बहने नहीं देते।
  • विद्युतरोधी में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का अभाव रहता है।
  • Insulator के इलेक्ट्रॉन मूल नाभिक से दृढतापूर्वक बँधे रहते हैं।
  • अत: बाह्य विद्युत् क्षेत्र लगाने पर गतिशील नहीं हो पाते।
  • लकड़ी, रबर, काँच आदि विद्युत्रोधी हैं।
  1. जब किसी चालक को रगड़ा जाता है, तो रगड़ने से उत्पन्न आवेश शरीर से होता हुआ पृथ्वी में चला जाता है।
  • अत: चालक को रगड़ने पर उसमें कोई आवेश उपस्थित नहीं रहता।
  • फलस्वरूप 18वीं शताब्दी के पहले चालकों को अविद्युतीय (Non-Electric) कहा जाता था।
  1. इसके विपरीत जब विद्युतरोधी को रगड़ा जाता है तो रगड़ने से उत्पन्न आवेश उसमें विद्यमान रहता है।
  • अतः विद्युतरोधी पदार्थों को परावैद्युत (Dielectric) कहा जाता था।

चालक तथा विद्युत रोधी की परिभाषा

एक इंसुलेटर एक ऐसी सामग्री है जो बिजली को आसानी से गुजरने नहीं देती है। दूसरे शब्दों में, इसकी कम चालकता है।

इंसुलेटर के उदाहरणों में रबर, कांच और प्लास्टिक शामिल हैं। बिजली के झटके और शॉर्ट सर्किट को रोकने, बिजली के तारों को कोट या लपेटने के लिए इन्सुलेट सामग्री का उपयोग किया जाता है।

जो पदार्थ आसानी से अपने में से होकर विद्युत को प्रवाहित होने देते हैं उन्हें चालक कहते हैं।

जैसे :- धातुएँ, मानव तथा जंतु शरीर और पृथ्वी चालक हैं।

काँच, पॉर्सेलेन, प्लास्टिक, नॉयलोन, लकड़ी जैसी अधिकांश अधातुएँ अपने से होकर प्रवाहित होने वाली विद्युत पर उच्च प्रतिरोध लगाती हैं। इन्हें विद्युतरोधी कहते हैं।

जब हम किसी आवेशित वस्तु को पृथ्वी के संपर्क में लाते हैं तो उसका अतिरिक्त आवेश जोड़ने वाले चालक (जैसे हमारा शरीर) में से होते हुए क्षणिक विद्युत धारा उत्पन्न करके भूमि में चला जाता है। आवेशों के भूमि के साथ बंटन की इस प्रक्रिया को भूसंपर्कण (भूसंपर्कित करना) कहते हैं।

भूसंपर्कण विद्युत परिपथों एवं अनुप्रयुक्तियों की सुरक्षा के लिए की गई एक व्यवस्था है। धातु की एक मोटी प्लेट को भूमि में गहराई तक गाड़ा जाता है तथा इस प्लेट से मोटे तारों को निकालकर भवनों में इन तारों का उपयोग मुख्य आपूर्ति के निकट भूसंपर्कण के लिए किया जाता हैं।

चालक तथा विद्युत रोधी की परिभाषा निम्नलिखित दो है।

1. चालक (conductors)

2. विद्युतरोधी (Non-conductors)

1. चालक (Conductors in Hindi)

प्रकृति पे पाए जाने वाले वे पदार्थ जिनमे आवेश (विद्युत) का प्रवाह आसानी से हो सकता है। चालक कहलाते है। चालक पदार्थों में धारा का प्रवाह हो पाता है।

इन पदार्थों में मुक्त इलेक्ट्रान होते है। सोना, चाँदी, में विद्युत की गति सबसे अच्छी होती है। लेकिन ये पदार्थ अत्यधिक महंगे होने के कारण प्रयोग नही किये जाते है।

उदाहरण :- ताँबा, एल्युमिनियम, लोहा, पारा, पृथ्वी, मनुष्य का शरीर।

2. विद्युतरोधी (Non-Conductors)

प्रकृति में पाए जाने वाले वे पदार्थ जिनमें विद्युत का प्रवाह आसानी से नही हो पाता है। विद्युतरोधी (कुचालक) कहलाते है। इन पदार्थों में मुक्त इलेक्ट्रान नही होते है।

विद्युत अभियान्त्रिकी

विद्युत अभियन्ता, वैद्युत-शक्ति-तन्त्र का डिजाइन करते हैं और जटिल एलेक्ट्रानिक तन्त्रों का डिजाइन भी करते हैं। नियंत्रण तंत्र आधुनिक सभ्यता का अभिन्न अंग है। यह विद्युत अभियान्त्रिकी का भी प्रमुख विषय है।

विद्युत अभियान्त्रिकी विद्युत और विद्युतीय तरंग, उनके उपयोग और उनसे जुड़ी तमाम तकनीकी और विज्ञान का अध्ययन और कार्य है। प्रायः इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स भी शामिल रहता है।

इसमें मुख्य रूप से विद्युत मशीनों की कार्य विधि एवं डिजाइन विद्युत उर्जा का उत्पादन, संचरण, वितरण, उपयोग; पावर एलेक्ट्रानिक्स; नियन्त्रण तन्त्र; तथा एलेक्ट्रानिक्स का अध्ययन किया जाता है।

एक अलग व्यवसाय के रूप में वैद्युत अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम भाग में हुआ जब विद्युत शक्ति का व्यावसायिक उपयोग होना आरम्भ हुआ। आजकल वैद्युत अभियांत्रिकी के अनेकों उपक्षेत्र हो गये हैं।

विद्युत-धारा का प्रवाह

कुछ पदार्थों में परमाणु ऐसे होते हैं, कि उनमें से बाहरी इलेक्ट्रॉनों को आसानी से निकाला जा सकता है। इन इलेक्ट्रॉन को ‘मुक्त इलेक्ट्रॉन‘ (Free electron) कहते हैं।

ये इलेक्ट्रॉन एक परमाणु से निकलकर दूसरे में आसानी से चले जाते हैं। किसी पदार्थ में विद्युत आवेश का प्रवाह (विद्युत-धारा का प्रवाह) पदार्थ में उपस्थित इन्हीं मुक्त इलेक्ट्रॉनों की गति के कारण होता है अर्थात् ये इलेक्ट्रॉन ही आवेश वाहक (Charge carriers) का कार्य करते हैं।

विद्युत रोधी के गुण

  • इंसुलेटर में विद्युत प्रवाह का उच्च प्रतिरोध होता है।
  • उनके पास कम तापीय चालकता है, जिसका अर्थ है कि वे अच्छी तरह से गर्मी का संचालन नहीं करते हैं।
  • वे नमनीय नहीं हैं, अर्थात उन्हें तारों में नहीं खींचा जा सकता है।
  • वे निंदनीय नहीं हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें विभिन्न रूपों में आकार नहीं दिया जा सकता है।

अचालक के प्रकार

  • काँच
  • रबड़
  • प्लास्टिक
  • वायु
  • खालीपन (Vacuum)

विद्युत रोधी के अनुप्रयोग

  • बिजली के तार कोटिंग्स
  • विद्युतीय इन्सुलेशन
  • सर्किट बोर्ड कोटिंग्स
  • विद्युत सुरक्षा उपकरण
  • उच्च वोल्टेज इंसुलेटर

उदाहरण

यदि हम किसी धातु की छड़ का एक सिरा गरम करें तो यह सिरा ऊष्मा पाकर गरम हो जाता है तथा चालन द्वारा ऊष्मा दूसरे सिरे तक पहुंचकर उसे भी गरम कर देती है।

जिस सिरे को हम गरम करते हैं, उस सिरे के कण ऊष्मा पाकर अपनी मध्यमान स्थिति के दोनों ओर तेज़ी से तथा अधिक आयाम से कम्पन करने लगते हैं

तथा अपने निकट वाले पृष्ठ के कणों से टकराते हैं तथा उन्हें ऊष्मा दे देते हैं। इस पृष्ठ के कण (जो अब तेज़ी से कम्पन करने लगे हैं) अपने निकट वाले पृष्ठ के कणों को ऊष्मा दे देते हैं इस प्रकार, ऊष्मा दूसरे सिरे तक एक पृष्ठ के कणों से दूसरे पृष्ठ के कणों में होती हुई पहुंच जाती है।

FAQ

Q.1 विधुत का क्या अर्थ है?

Ans. विद्युत आवेशों के मौजूदगी और बहाव से जुड़े भौतिक परिघटनाओं के समुच्चय को विद्युत (Electricity) कहा जाता है।

Q.2 इंसुलेटर क्या होते हैं एक उदाहरण दीजिए?

Ans. जिन पदार्थों में मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं या लगभग ना के बराबर होते हैं ऐसे पदार्थों को इंसुलेटर कहा जाता है जैसे सूखी लकड़ी ,प्लास्टिक, पोर्सलिन, ग्लास ,रबर, कागज आदि

Q.3 कौन सा पदार्थ विद्युत रोधी है?

Ans. विद्युतरोधी के उदाहरणों में प्लास्टिक, कागज, रबर, कांच और बैकेलाइट शामिल हैं।

Q.4 विद्युत चालक का मात्रक क्या है?


इसकी SI इकाई ओम (Ω) है

Q.5 चालक एवं विद्युत रोधी क्या है?

Ans. विद्युत चालक – वे पदार्थ जो अपने में से विद्युत धारा को प्रवाहित होने देते हैं, विद्युत चालक कहलाते हैं।

जैसे :- लोहा, ताँबा, मानव शरीर, चाँदी, ऐलुमिनियम आदि। 

विद्युत रोधी – वे पदार्थ जो अपने में से विद्युत धारा को प्रवाहित नहीं होने देते, विद्युतरोधी कहलाते हैं।

जैसे :- लकड़ी, रबड़, प्लास्टिक, काँच, कागज आदि।

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